प्यार हुआ, इकरार हुआ, प्यार से फिर क्यों डरता है दिल
एक दंपति की कहानी : आये तो थे निराश लेकिन जाने लगे तो रास्ते फूलों से सज गए
ऋषव मिश्रा कृष्णा, नवगछिया : नवविवाहिता ने बिना किसी की परवाह किये अपना हाथ अपने पति की ओर बढ़ा दिया. पति को भी एतराज न था, उसने भी अपनी नवविवाहिता पत्नी की आंखों में आंखे डाल कर कुछ देर के लिए ही सही, खुद को दुनियां से अलग कर लिया था. पिछले दिनों नवगछिया अनुमंडलीय अस्पताल इसी तरह की एक प्रेम कहानी देखने और सुनने को मिली. इस सुखद एहसास से ठीक दो दिन पहले जब यह नवविवाहित जोड़ा नवगछिया अनुमंडलीय अस्पताल आया था तो दोनों मायूस थे, थके थके थे, दोनों की दूरी बता रही थी कि जिंदगी से प्रेम नाम का शब्द डिलीट हो गया है. हो भी क्यों नहीं दोनों को पता था कि नवगछिया अनुमंडलीय अस्पताल में वे जिंदगी की जांच कराने आये हैं और रिपोर्ट में बर्बादी के सिवा कुछ दूसरा नहीं लिखाने वाला है. लेकिन दो दिन बाद वाली कहानी अलग ही थी. दोनों को जब जिंदगी की जांच का रिजल्ट वाला लिफाफ़ा मिला तो कोई उत्साह न था. फिर भी पति ने लिफाफा खोल और रिपोर्ट देखा तो उसकी दुनियां बदल गयी. रिपोर्ट में साफ साफ एक ही शब्द लिखा था ” नॉन रिएक्टिव” लेकिन इसी शब्द में दोनों के लिए कई शब्द छुपे थे. पहला शब्द वफ़ा फिर प्यार, जिंदगी, एक खूबसूरत गृहस्थी, समाज में सम्मान आदि और भी कितने सुखद शब्द थे, यह तो दोनों पति और पत्नी ही बता सकते हैं. जांच का परिणाम सामने आते हीं दोनों के खुशी का ठीकाना नहीं था, मानो घोर तिमिर में किसी ने सूर्य जैसा एक दीपक जला दिया हो.
और जिंदगी से प्रेम हो गया था डिलीट
राहुल (काल्पनिक नाम) की जिंदगी से प्रेम नाम का शब्द किस तरह गायब हो गया इसके लिए उसकी जिंदगी के पांच साल पीछे जाना होगा. नवगछिया अनुमंडल के खरीक प्रखंड के एक गांव का युवक राहुल काफी मेहनतकश और सजग युवक है. करीब पांच साल पहले उसकी शादी होती है. शादी के बाद दो बच्चे हुए. जिंदगी की गाड़ी पटरी पर थी. लेकिन राहुल की पत्नी एकाएक गंभीर रूप बीमार पड़ती है और दुनियां छोड़ देती है. राहुल दूसरी शादी करना नहीं चाहता था लेकिन घरवालों और दो बच्चों की जिम्मेदारियों के सामने मजबूर होकर उसने दूसरी शादी यशोधरा (ककल्पनिक नाम) से कर ली. राहुल की जिंदगी में एक बार फिर से बहार आने की उम्मीद थी. उसके दोनों बच्चों को यशोधरा ने अपने बच्चे की तरह ही आत्मसात कर लिया था. आज से करीब छः माह पहले राहुल को सर्दी, खांसी व मामूली बुखार से पीड़ित हुआ तो नजर अंदाज करने की आदत ने इस बीमारी को नासूर बना दिया. यशोधरा जानती थी, उसके पति दिल्ली में भी रह चुके हैं औऱ वह अपने पति की दूसरी बीबी है. इसलिये हो सकता है कि राहुल को एड्स हो. वैसे भी समाज मे यह हल्ला था कि राहुल की पहली पत्नी एड्स की वजह से मरी है. पहले तो राहुल का इलाज खरीक बाजार के एक स्थानीय चिकित्सक से कराया गया.
जब वह कुछ ठीक हो गया तो एक स्थानीय पैथोलॉजी में यशोधरा ने जिद करके राहुल का एचआईवी टेस्ट कराया तो यहां उसे एचआईवी पोजेटिव रिजल्ट दिया गया. इसके बाद कुछ दिन बाद ही राहुल चंगा तो गया लेकिन उसकी जिंदगी तबाह हो चुकी थी. यशोधरा राहुल से दूर रहने लगी थी. दोनों की जिंदगी से प्रेम नाम का शब्द ही गायब हो गया था. अब दोनों की शादी टूट के कगार पर थी लेकिन बच्चों को देखते हुए यशोधरा यह फैसला नहीं ले पा रही थी. यशोधरा को उकसे मायके वालों ने सरकारी अस्पताल जा कर जांच कराने की सलाह दी. यशोधरा को सलाह देने वाला जानकार था. उसने कहा कि हो सकता है तुम्हारा भी एचआईवी पोजेटिव हो. यशोधरा और राहुल इस आशंका से भागलपुर के जेएलएनएमसीएच अस्पताल पहुंचे. लेकिन वहां पर एचआईवी जांच के लिए किट उपलब्ध नहीं था इसलिए दोनों को नवगछिया अनुमंडल अस्पताल भेजा गया. अनुमंडल अस्पताल के समेकित परामर्श एवं जांच केंद्र (आईसीटीसी) के काउन्सेलर अजय कुमार सिंह ने दोनों से जांच कराने का कारण पूछा तो दोनों की पूरी कहानी सामने आयी. नवगछिया अनुमंडल अस्पताल में यशोधरा के साथ साथ कथित रूप से एचआईवी पोजेटिव राहुल के रक्त का नमूना जांच के लिए लिया गया. दो दिन बाद काउन्सेलर अजय सिंह रिपोर्ट देख कर खुद हैरान थे. पति पत्नी में से कोई भी एचआईवी पोजेटिव नहीं था. दोनों की को एक गलत रिपोर्ट ने तबाह कर दिया था. काउन्सेलर अजय सिंह ने दोनों को अपनी बातों से भी संतुष्ट करते हुए कहा कि आपलोग भयमुक्त हो कर दाम्पत्य जीवन का आनंद ले सकते हैं. आपको किसी तरह की बीमारी नहीं है. इसके बाद तो दोनों के खुशी का ठिकाना न था.
अजय ने की लोगों से अपील
आईसीटीसी के काउन्सेलर अजय कुमार सिंह ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अगर कोई भी निजी पैथोलॉजी आपको एचआईवी पोजेटिव या नेगटिव रिजल्ट दे तो आप किसी दूसरी लैब में जा कर फिर से जांच करा कर दोनों के रिजल्ट का मिलान कर लें. अच्छा तो यह होगा कि आप इस तरह के जांच के लिये सीधे अनुमंडल अस्पताल आएं. यहां एचआईवी की जांच मुफ्त में की जाती है. यहां गलती की संभावना भी कतई नहीं है. निजी लैब वालों को भी इस तरह के रिजल्ट में जल्दबाजी नहीं करना चाहिये. इस तरह का मामला हो तो रिजल्ट देने के बजाय मामले को सीधे अनुमंडल अस्पताल रेफर कर देना चाहिये.