नवगछिया : चार दिवसीय चैती छठ महापर्व 12 अप्रैल से नहाय-खाय के साथ शुरू होगा। 13 को खरना, 14 को अस्ताचलगामी अर्घ्य व 15 अप्रैल को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और पारण के साथ छठ महापर्व संपन्न हो जाएगा। पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया कि छठ महापर्व में नहाय-खाय व खरना व्रत का विशेष महत्व है। शुक्रवार को नहाय-खाय का अनुष्ठान है।

इस दिन कद्दू-भात सात्विक तरीके से तैयार किया जाता है। भगवान सूर्य को भोग लगाकर भोजन ग्रहण किया जाता है। दूसरे दिन शनिवार को खरना का व्रत होगा। इस दिन से महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत का आरंभ करती हैं।

पंडित दयानद पाण्डेय ने बताया कि सनातन धर्म में चैती छठ का विशेष महत्व है। साल में दो बार छठ का पर्व मनाया जाता है। पहला चैत्र मास में ओर दूसरा कार्तिक मास में। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाने की परंपरा है। कार्तिक मास की छठ का अधिक महत्व है।