नवगछिया : नवगछिया का प्रसिद्ध लोक पर्व मां मनसा विषहरी पूजा गुरुवार को सुबह से धूमधाम से शुरू हुई। बुधवार को देर रात हुई पूजा के बाद दो विषहरी स्थानों समेत पूजा-पंडालों में मां मनसा विषहरी की प्रतिमा स्थापित हुई। पंडालों में बाला-बिहुला कथा के विभिन्न चरित्र की प्रतिमाओं की स्थापना की गई है।

गुरुवार को करीब हर पूजा पंडाल और विषहरी स्थानों में सुबह 5 बजे से आम लोगों के लिए मंदिर का पट खोल दिया गया। शहर के कई स्थानों में सुबह से ही मां मनसा विषहरी की पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

खासकर मां मनषा विषहरी को डाला चढ़ाने के लिए दोपहर तक मंदिरों और पंडालों में महिलाओं की भीड़ लगी रही। शहर के प्रमुख पूजा पंडालों के पास मेला लगा है।

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पूजा  कमिटी के अध्यक्ष बिमल पोद्दार ने बताया कि महा प्रतापी सती विहुला का जन्म नवगछिया बाजार से सटे गाँव उजानी के ही बड़े समृद्धशाली सौदागर वासुदेव उर्फ बासु सौदागर के घर हुआ था। बचपन से ही विहुला काफी धार्मिक प्रवृति की थी।
वह बचपन से ही सहेलियों के साथ सोने की नौका पर चढ़ कर नहाने जाती थी। उस नाव के सिक्कड़ भी सोने के ही बने थे। नवगछिया के उजानी गाँव में वह अमृत पोखर आज भी विद्यमान है। जो पूरी तरह से सूख चुका है।