नवगछिया : खगड़ा में चल रही रामकथा के तीसरे दिन गुरुवार को स्वामी आगमानंद कहा कि गोस्वामी तुलसी दास ने रामचरितमानस में संतों के साथ असंतों की भी वंदना की है। उन्होंने कहा कि संत से बिछुड़ते समय कष्ट होता है और असंत से मिलते समय कष्ट होता है, दोनों कष्टकारी हैं। इसलिए उन्होंने दोनों की पूजा की।

उन्होंने कहा कि मनुष्य में कभी भी समानता नहीं हो सकता है। यही मानवता की पहचान है। भारतीय और सनातन हिंदू संस्कृति इसी बात के लिए जानी जाती है। स्वामी आगमानंद ने कहा कि रामचरितमानस में बालकांड और उत्तरकांड गूढ़ हैं, जो जीवन जीने की सीख देती है। संत चलता फिरता तीर्थ है। संत और गुरु ईश्वर से साक्षात्कार कराते हैं। वे अपने शिष्यों की हर प्रकार की रक्षा करते हैं। संत हृदय गंगा के समान होता है। संत को जो भी मिलता है वह दूसरे में बांट देते हैं।

इस अवसर पर पंडित ज्योतिन्द्र प्रसाद चौधरी, स्वामी मानवानंद, शिव प्रेमानंद भाई, कुंदन बाबा, मनोरंजन प्रसाद सिंह आदि मौजूद थे। वहीं महदत्तपुर में रामनवमी मेला का उद्घाटन आगमानंद महाराज ने किया। कहा कि कथा कहने से ज्यादा सुनना लाभकारी होता है। शिवजी ने भी अगस्त मुनि से रामकथा सुनी थी, जबकि शिवजी को रामकथा के रचियता हैं। सुमन किशोरी ने राम की बाल लीलाओं का वर्णन किया।

नवगछिया। घाट ठाकुरवाड़ी में चल रहे नौ दिवसीय रामचरितमानस नवाह पारायण यज्ञ व रामकथा के तीसरे दिन गुरुवार को प्रयागराज से पधारे स्वामी विनोदानंद सरस्वती ने कहा कि जो मिले हुए भगवान से परिचय करा दे वही गुरु है। जो भी हम लोग खाते हैं, पहनते हैं उसे भगवान को अर्पित कर ग्रहण करते हैं उसे ही भक्ति कहते हैं। जिस धरा पर विशाल यज्ञ हुआ हो उसे प्रयागराज कहते हैं। जो चरणों में रहेगा वह हरा भरा रहेगा।

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कथा सुनने के लिए नवगछिया के अलावा कटिहार, पूर्णिया, दरभंगा, फारबिसगंज व नेपाल से भी रामभक्त आ रहे हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने में दिनेश सरार्फ, बनवारी लाल पंसारी, शिवनारायण जायसवाल, श्रवण केडिया, अशोक केडिया, विनीत खेमका, विशाल चिरानिया, किशन यादुका, संतोष भगत, प्रवीण भगत, बिनोद चिरानिया, राजेश भगत आदि सहयोग कर रहे हैं।