नवगछिया :  लोकसभा चुनाव में महज एक सप्ताह शेष है। संभावित जीत-हार की गिनती में जहां उम्मीदवारों का ‘हार्ट बीट बढ़ गया है। वहीं, नवगछिया अनुमंडल क्षेत्र के नदी किनारे के लोगों का दिल हो रहे कटाव को देखकर बैठा जा रहा है। गंगा और कोसी नदी में कटाव धीरे-धीरे शुरू हो गया है।

पहले से हुए कटाव की अब तक मरम्मत नहीं करायी जा सकी है। जल संसाधन विभाग आचार-संहिता की दुहाई देकर सप्ताह-दस दिन इंतजार की बात कह रहा है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधि चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। ऐसे में कटाव पीड़ितों का दर्द है कि जब उनका आशियाना ही नदी में समा जाएगा। तब वोट देने से क्या फायदा।

15 तक डेडलाइन, टेंडर भी फाइनल नहीं

यह दर्द कोई एक जगह के वाशिंदों का नहीं है। नारायणपुर से रंगरा तक नदी से सटी बस्तियां गंगा के कटाव से पीड़ित है। बिहपुर, खरीक से नवगछिया होकर कुरसेला तक कोसी का दंश परेशानी का सबब बना है। इन इलाकों के ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ कैलेंडर के अनुसार कटाव निरोधक कार्य हर हाल में बरसात से पहले यानी 15 मई तक पूरा हो जाना चाहिए। चुनाव को लेकर पूरा अप्रैल बीत जाएगा। 15 दिन में प्रशासनिक स्वीकृति, टेंडर और कटाव निरोधक कार्य हास्यास्पद ही लगता है। जानकार बताते हैं, अनुमंडल क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक संवेदनशील स्थानों गंगा व कोसी से हुए कटाव से बचाव के लिए प्राक्कलन को तकनीकी स्वीकृति मिल गई है। अब प्रशासनिक स्वीकृति की प्रक्रिया में मामला अटका हुआ है। समय से काम नहीं हुआ तो इस बार फिर से बाढ़-कटाव का खतरा है।

कोट

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आदर्श आचार संहिता लागू होने से प्रक्रिया में देरी हो रही है। एक सप्ताह के अंदर स्वीकृति की संभावना है। स्वीकृति मिलते ही संवेदक से गुणवत्तापूर्ण कार्य पूरा करवाया जाएगा।

– ई. अनिल कुमार, मुख्य अभियंता।