नवगछिया  : पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही जबर्दस्त बर्फबारी और बर्फीली हवाओं के कारण  भी नवगछिया कांपने लगा है। गलन बढ़ने से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। फिलहाल ठंड से राहत की उम्मीद नहीं है। अगले तीन दिनों में ठंड और बढ़ सकती है। शनिवार को न्यूनतम तापमान 5.0 डिग्री सेल्सियस के करीब रहा जबकि अधिकतम तापमान 1.3 डिग्री बढ़कर 16.5 पहुंच गया। फिर भी ठंड से राहत नहीं मिल पाई।

सर्द दक्षिणी-पश्चिमी हवाओं के कारण जनजीवन बेहाल हो गया है। 3.7 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल रहीं बर्फीली हवाओं के कारण पूरा जिला कांप रहा है। ठंड में गलन ऐसी है कि लोगों को घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। हालांकि शनिवार को दिन में धूप तो खिली लेकिन बर्फीली हवाओं के कारण गलन से निजात नहीं मिली। लोग धूप में भी घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। जिला प्रशासन की ओर से कड़ाके की ठंड को देखते हुए स्कूल बंद करवा दिए जाने से स्कूली बच्चों को राहत अवश्य मिली है।

शाम होते ही सड़कें हो जाती हैं सूनी, बाजारों में पसर जाता है सन्नाटा

कड़ाके की ठंड के कारण दिन में तो थोड़ी लोगों की आवाजाही रहती है लेकिन शाम होते ही लोग घरों में दुबकने को मजबूर हो गए हैं। शाम को सड़कें पूरी तरह खाली हो जा रही हैं। बाजारों में भी सन्नाटा छा जा रहा है। रात दस बजे तक गुलजार रहने वाले बाजार और मॉल्स शाम होते ही सूने पड़ जा रहे हैं।

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हवा की गति में वृद्धि और बढ़ाएगी गलन

क्षेत्रीय मौसम निदेशालय पटना से प्राप्त पूर्वानुमान में बताया गया है कि पहाड़ी प्रदेशों में लगातार हो रही बर्फबारी के कारण फिलहाल ठंड से राहत की उम्मीद नहीं है। अगले तीन दिनों में सर्द पश्चिमी और उत्तरी-पश्चिमी हवाओं के नौ किलोमीटर प्रतिघंटा से चलने की संभावना है। वहीं बीएयू मौसम विभाग के नोडल पदाधिकारी प्रो. बीरेंद्र कुमार के अनुसार हवा तेज चली तो कोहरा नहीं होगा। लेकिन तापमान में और गिरावट आ सकती है। ऐसे में ठंड और जानलेवा हो सकती है।

ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा सरकारी अलाव

कड़ाके की ठंड से निजात पाने के लिए प्रशासन ने बेशक चौक-चौराहों पर जलाने के लिए अलाव की व्यवस्था की है लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। शहर में एक-दो जगह को छोड़ किसी चौक-चौराहे पर अलाव नहीं जलाया जा रहा है। ऐसे में गरीब और राहगीर ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं। उधर, स्टेशन चौक पर अलाव के सहारे ठंड काट रहे एक यात्री ने बताया कि अलाव की लकड़ी एक ही घंटे में जलकर खत्म हो गई। जबकि ऐसे सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में ठंड से गरीबों का बुरा हाल है। उनके छोटे-छोटे बच्चे घर में बुजुर्गो को बचाने के लिए कचरों के बीच से लकड़ियां चुनकर अलाव के जुगाड़ में लगी देखी जा रही हैं। परंतु प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।