तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में एक बार फिर फर्जी अंकपत्र का मामला सामने आया है। पार्ट-3 का नंबर कंप्यूटर पर चढ़ाने के दौरान इसका खुलासा हुआ है। मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

दरअसल 39 छात्र जो पार्ट-1 या 2 में फेल थे नियम के अनुसार पार्ट-3 का फॉर्म नहीं भर सकते थे। इसलिए इन छात्रों ने फर्जी मार्कशीट बनवा लिया। जिस कक्षा में फेल थे, उसके अंकपत्र को स्कैन कर, खुद से अंक चढ़ा या बढ़ा लिया और उसकी फोटो कॉपी विवि को देकर पार्ट-3 का परीक्षा फॉर्म भर लिया। लेकिन इन छात्रों ने तब यह नहीं सोचा था कि पार्ट-1 और 2 का रिजल्ट जब विवि अपलोड करेगा तो इनकी पोल खुल जाएगी। यही हुआ। अब विवि इन 39 छात्रों के रिजल्ट की जांच करवा रहा है।

डीएसडब्ल्यू और परीक्षा प्रभारी डॉ. योगेन्द्र ने बताया कि करीब 10 कॉलेजों के छात्रों के रिजल्ट में यह गड़बड़ी मिली है। इनमें एसएम कॉलेज, बीआरएम कॉलेज, तारड़ कॉलेज जैसे कॉलेज हैं। डीएसडब्ल्यू ने संबंधित कॉलेजों के प्राचार्यों को इन छात्रों के टेबुलेशन रजिस्टर के साथ बुलाया है।

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डॉ. योगेन्द्र ने बताया कि जब फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब यह व्यवस्था बनाई गई थी कि पार्ट-1 और 2 के वैसे छात्र जो इन दोनों कक्षा में से किसी एक में अनुपस्थित हैं, उन्हें पार्ट-3 का परीक्षा फॉर्म भरने का मौका दिया जाएगा और इस दौरान यह जांच की जाएगी कि जिन विषयों में ये छात्र एबसेंट हैं, उसकी परीक्षा दी थी या नहीं। इसके बाद ही इनके पार्ट-3 का रिजल्ट तैयार किया जाएगा। साथ ही जो छात्र पार्ट-1 या 2 में फेल होंगे, उन्हें पार्ट-3 का परीक्षा फॉर्म नहीं भरने दिया जाएगा। ऐसे में कई एबसेंट छात्रों ने फर्जी तरीके का इस्तेमाल किया। अब जब पार्ट-3 का रिजल्ट देने से पहले पार्ट-1 और 2 का रिजल्ट अपलोड किया गया तो ऐसे छात्र विवि के रिकॉर्ड में फेल मिल रहे हैं। ऐसा मामला डॉ. योगेन्द्र ने करीब डेढ़ साल पहले भी पकड़े थे।

मामले की जांच कराई जा रही है। जल्द ही सच्चाई सामने आ जाएगी। इससे यह पता चल जाएगा कि गलती किस-किस स्तर पर हुई है।