नवगछिया: नवगछिया अनुमंडल अस्पताल से बीना रेफर के ही नवजात शिशु इलाज के लिए पहुंच रहे है निजी क्लिनिक। कमीशन के लालच में यह गोरखधंधा कई माह से चल रहा हैं। ऐसा ही एक मामला बुधवार की रात को देखने के लिए मिला। खगड़िया जिला के भरतखंड निवासी मोहन मंडल की पत्नी किरण देवी प्रसव के लिए अनुमंडल अस्पताल में बुधवार की शाम भर्ती हुई। किरण देवी मायके रंगरा चौक ओपी क्षेत्र के साधोपुर से प्रसव कराने आई थी। किरण देवी को लड़का हुआ था।

अस्पताल की आशा व ममता ने किरण देवी को बताया कि लड़का स्वस्थ्य नहीं है इसे नवगछिया के एक निजी क्लिनिक में नवजात शिशु को सीसा में रखा जाता हैं। उसे वहीं रखवा दो। नवजात शिशु को निजी क्लिनिक स्थित सीसा में रखवा दिया। निजी क्लिनिक में ही नवजात शिशु की मौत हो गई। निजी क्लिनिक से नवजात शिशु को अनुमंडल अस्पताल यह कहकर भेज दिया कि इस आक्सीजन लगवा दो। अनुमंडल अस्पताल में जांच किया तो नवजात शिशु की मौत हो गई।

किरण देवी ने रोते हुए बताया कि अस्पताल में आशा व ममता ने ही सीसा में बच्चा को रखवाने के लिए कहा था। रात्रि में ही बच्चे को सीसा में रखने के लिए तीन हजार रूपये ले लिए थे। बच्चे की मौत हो गई। रात्रि ड्युटी पर मौजूद चिकित्सक डॉ. देववर्त कुमार ने बताया कि नवजात शिशु की हालत ठीक नहीं थी।

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उसे जेएलनएएमसीएच भागलपुर अस्पताल रेफर किया था। बच्चे व उसकी मां को एम्बुलेंस पर बैठाकर भेजा गया था। फिर भी बच्चा निजी क्लिनिक कैसे पहुंच गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आशा, ममता अस्पताल में कार्य कर रही नर्स का निजी क्लिनिक से मिलीभगत है। इन लोगों को निजी क्लिनिक में इलाज में भेजने के लिए प्रत्येक बच्चा कमीशन दिया जाता है।

कई बार तो कमीशन के फेर में स्वस्थ्य बच्चे को भी सीसा में रखने के लिए भेज दिया जाता हैं। आकंड़ों के अनुसार यदि प्रत्येक दिन अनुमंडल अस्तपाल में 15 नवजात शिशु का जन्म होता है तो उसमें पांच बच्चा निजी क्लिनिक में इलाज के लिए भेजा जाता हैं। अस्पताल के प्रभारी डीएस बरूण कुमार ने बताया कि इसकी जांच करवाई जायेगी।