नवगछिया : शरद पूर्णिमा अश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल शरद पूर्णिमा 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस रात चन्द्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत वर्षा करता है। इसलिए इस रात को खीर बनाकर खुले आसमान के तले रखा जाता है।

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक होता है। पुराणों में ऐसी कथा आती है कि इस रात भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था। इसलिए शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है।

  • ऐसे लगाएं खीर का भोग

इस दिन व्रत रख कर विधि-विधान से लक्ष्मीनारायण का पूजन करें। खीर बनाकर रात में खुले आसमान के नीचे ऐसे रखें ताकि चन्द्रमा की रोशनी खीर पर पड़े। अगले दिन स्नान करके भगवान को खीर का भोग लगाएं। फिर तीन ब्राह्मणों या कन्याओं को प्रसाद रूप में इस खीर को दें और अपने परिवार में खीर का प्रसाद बांटे। इस खीर को खाने से अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है।

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  • बरसती है लक्ष्मी की कृपा 

शरद पूर्णिमा की रात को जागने का विशेष महत्व दिया गया है।  ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी यह देखने के लिए घूमती कि कौन जाग रहा है। जो जगता है उसका माता लक्ष्मी कल्याण करती हैं।

रातों में शीतल चन्द्रमा की चांदनी का लाभ उठाना चाहिए।

1. नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा को देखकर त्राटक करें ।

2 . जो भी इन्द्रियां शिथिल हो गई हैं उन्हें पुष्ट करने के लिए चन्द्रमा की चांदनी में रखी खीर रखना चाहिए।

3 . चंद्र देव,लक्ष्मी मां को भोग लगाकर वैद्यराज अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना चाहिए कि ‘हमारी इन्द्रियों का तेज-ओज बढ़ाएं।’ तत्पश्चात् खीर का सेवन करना चाहिए।

4. शरद पूर्णिमा अस्थमा के लिए वरदान की रात होती है। रात को सोना नहीं चाहिए। रात भर रखी खीर का सेवन करने से दमे का दम निकल जाएगा।

5 . पूर्णिमा और अमावस्या पर चन्द्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है। जब चन्द्रमा इतने बड़े समुद्र में उथल-पुथल कर उसे कंपायमान कर देता है तो जरा सोचिए कि हमारे शरीर में जो जलीय अंश है, सप्तधातुएं हैं, सप्त रंग हैं, उन पर चन्द्रमा का कितना गहरा प्रभाव पड़ता होगा।
6. शरद पूर्णिमा पर अगर काम-विलास में लिप्त रहें तो विकलांग संतान अथवा जानलेवा बीमारी होती है।

7 . शरद पूर्णिमा पर पूजा, मंत्र, भक्ति, उपवास, व्रत आदि करने से शरीर तंदुरुस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि आलोकित होती है।

8 . इस रात सूई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्रज्योति बढ़ती है।