नवगछिया : नवगछिया के नगरह स्थित महाश्मशानी उग्रकलिका सिद्ध शक्तिपीठ काली मंदिर साधनात्मक और अनुभुर्यात्मक दृष्टि अपने आप में प्रभावशाली शक्तिपीठ है. यह मंदिर देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है, इस मंदिर के पीछे श्मशान भी है. साधकों के अनुसार नगरह वैसी की भूमि जागृत है, अर्थात यहां साधकों की सिद्धि कार्य मे सफलता अवश्य और जल्दी मिलती है. बताया जाता है कि नवगछिया के प्रसिद्ध संत स्वामी आगमानंद जी महाराज ने यहीं पर सिद्धि का सौभाग्य प्राप्त कर जनकल्याण के लिये अग्रसर हुए. इस तरह की चर्चा है कि एक बार स्थानीय ग्रामीणों द्वारा विशाल वृक्ष को कटवाने की योजना बनी परंतु माता यह इच्छा नहीं थी. रातोंरात चमत्कार हुआ और पैर में सभी देवी देवताओं के स्वरूप उभर आए. ग्रामीण यह देख आश्चर्यचकित थे. इस तरह के चमत्कार को देखकर कोई नास्तिक ही उसे नकार सकता था, सो ग्रामीण माता के इस चमत्कार को प्रणाम किया और नतमस्तक होकर उसी दिन से उस पेड़ की भी पूजा की जाने लगी.
रातोंरात हुआ चमत्कार
प्रसिद्ध संत परम श्रद्धेय स्वामी आगमानंद जी महाराज कहते हैं कि जो भी साधक भक्त माता का दर्शन पूजन साधन भजन श्रद्धा निष्ठा भक्ती से करते हैं माता उम्र की कामना कुछ परीक्षा लेने के बाद पूर्ण कर देती है. माता समस्त भक्तों का कल्याण निरंतर करती आ रही हैं. यही कारण है माता का वैभव दिनों दिन बढ़ता ही जा है.
और हर दिन बढ़ती है मां काली की प्रतिमा
इस शक्तिपीठ दो आत्मा स्थापित प्रतिमा हर साल चमत्कारिक रूप से बढ़ती है. यहां पर माता का मंदिर गांव के उत्तर पूर्वी कोने में स्थित है. कहां जाता है कि प्राचीन काल में यहां केवल जंगल ही था. कहा जाता है कि महर्षि वशिष्ठ काममार्गीय साधना के क्रम में विक्षिप्त हो गए. इसके बाद इसी मंदिर क्षेत्र में ब्रह्मर्षि वशिष्ठ ने एकांत ध्यान किया जिसके प्रभाव से उन्हें पूर्ण सिद्धि और सर्वसिद्धि की प्राप्ति हुई थी. किस्से कहानियां तो है, बहुत है जिसे आप लग रहा कही सुन सकते हैं और एहसास भी कर सकते हैं.
कई राज्यों से आते हैं श्रद्धालु
नवगछिया के नगरह के इस महत्वपूर्ण शक्तिपीठ कालिका मंदिर में बिहार ही नहीं भारत के कोने-कोने से लोग माता के दरबार में अर्जी लगाने पहुंचते हैं.
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