आस्था : शनि का राशि परिवर्तन, इसलिए अधिक महत्वपूर्ण क्योंकि यह 12 राशियों का अपना एक चक्र 30 साल में पूरा करता है
11 मई से 28 सितंबर तक वक्री रहेंगे शनि, इस दौरान कष्टों में होगी कमी

ज्योतिषियों के अनुसार शनि 11 मई से 29 सितंबर तक मकर राशि में ही वक्री रहेंगे। मई से सितंबर के बीच साढ़े साती व ढैया से प्रभावित राशि वालों के कष्टों में कमी आएगी, पर उनके काम भी मंद गति से ही पूरे होंगे। उन्होंने बताया कि जिस राशि पर साढ़े साती चलती है, उसका असर साढ़े सात साल तक रहता है।

माघ मास की मौनी अमावस्या पर सुबह 9:51 बजे शनि का राशि परिवर्तन होने जा रहा है। 29 साल बाद 24 जनवरी को शनि देव अपनी राशि मकर में प्रवेश करेंगे। शनि इसी राशि के स्वामी हैं। अर्थात उनकी अपने घर में वापसी होगी, जिसमें वह ढाई साल रहेंगे। इसके बाद उनका कुंभ राशि में प्रवेश होगा। अभी धनु राशि में है। शनि एक राशि में करीब ढाई साल विचरण करते हैं। यह अपनी राशि में अधिक बलवान रहेंगे। इन्हें देवों में न्यायाधीश का दर्जा है, इसलिए न्याय प्रणाली और अधिक मजबूत होगी। साथ ही उद्योग-धंधों में तेजी आएगी, लेकिन निर्माण कार्यों में मंदी बनी रहेगी।

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इसकी वजह यह है कि कारखानों व उद्योग धंधों पर शनि का प्रभुत्व रहता है, जबकि उसकी गति मंद होने से निर्माण में देरी होती है। ज्योतिषियों का मत है कि ग्रहों में शनि का राशि परिवर्तन इसलिए अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह 12 राशियों का अपना एक चक्र 30 साल में पूरा करता है।

मकर राशि वाले को अच्छे व कुंभ वालों को मिश्रित परिणाम मिलेंगे

ज्योतिषाचार्य पं. मनोज कुमार मिश्र के अनुसार शनि के मकर राशि में पहुंचने से वृश्चिक राशि शनि की साढ़े साती से मुक्त होगी और इसके जातकों के काम बनने लगेंगे, जबकि कुंभ राशि पर साढ़े साती शुरू होगी। वृषभ व कन्या ढैया से मुक्त होंगे लेकिन मिथुन व तुला पर शनि की ढैया रहेगी।

यह होगा परिवर्तन का असर

धर्म व अध्यात्म के क्षेत्र में लंबित काम पूरे होंगे। पेट्रोल, सोना, चांदी, लोहे के दाम बढ़ेंगे, खाद्यान्न सामग्री के भावों में गिरावट आएगी। कृषि क्षेत्र में उन्नति व नए प्रयोग सामने आएंगे। राजनीतिक लोगों में विद्वेष बढ़ेगा, लेकिन कई क्षेत्रीय दलों का प्रभुत्व बढ़ेगा। सीमा पर तनाव बरकरार रहेगा। जिन राशियों में शनि अच्छे भाव में हैं, वे रोग मुक्त होंगे और रोजगार के अवसर मिलने लगेंगे।