सूबे में 15 दिसंबर से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक (सिंगल यूज प्लास्टिक) का प्रचलन प्रतिबंधित हो जाएगा। इसके बाद राज्य में सिंगल यूज प्लास्टिक की बिक्री, परिवहन और उपयोग पर दंडात्मक कार्रवाई तक हो सकती है। हालांकि अभी इसका विकल्प तैयार नहीं किया गया है। क्योंकि बोयो डिग्रेडेबल प्लास्टिक का उत्पादन अभी राज्य में नहीं हो रहा है। इसका उत्पादन मई 2022 से शुरू होने की संभावना है। इसके लिए राज्य के प्लास्टिक उत्पादकों ने बायो डिग्रेडेबल दाना को सीपेट चेन्नई में टेस्टिंग के लिए भेजा है। इसमें छह से सात महीने का समय लगेगा। ऐसे में प्रतिबंध लगने के बाद सूबे के लोगों को ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी। बिहार प्लास्टिक इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रेम कुमार कहते हैं कि राज्य के बाहर से आने वाला बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के लिए लोगों को छह से सात गुना ज्यादा देना पड़ेगा। 25 पैसा के प्लास्टिक बैग के लिए डेढ़ रुपये तक चुकाना पड़ेगा।

लगी हुई है सौ करोड़ की पूंजी

प्रतिदिन 60 टन से ज्यादा एकल उपयोग वाले प्लास्टिक का उत्पादन राज्य में होता है। राज्य लगभग 20 बड़ी उत्पादन इकाइयां है जो निबंधित हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में छोटी-छोटी सैकड़ों उत्पादन इकाइयां है। प्लास्टिक इंडस्ट्री में लगभग सौ करोड़ रुपये की पूंजी लगी हुई है। इसमें बैंकों द्वारा भी कई इकाइयों को कर्ज दिया गया है। बीपीआईए के प्रेम कहते हैं कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगने से इस धंधे में लगे उद्यमियों की पूंजी टूट जाएगी और कई उद्यमी कर्ज में फंस जायेंगे।

उद्यमियों का पक्ष

Whatsapp group Join

● छह से सात महीने लग सकते हैं बिहार में उत्पादन में

● बाहर से आने वाले बायो डिग्रेडेबल प्लास्टिक की कीमत होगी ज्यादा

कैट के बिहार चेयरमैन कमल नोपानी ने एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर लगने वाले प्रतिबंध की समय सीमा बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने आग्रह किया है कि पूरे देश में 1 जुलाई 2022 से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लागू किया जा रहा है। राज्य में भी इस प्रतिबंध को देश के साथ ही लागू किया जाए। प्लास्टिक उत्पादक व्यापारियों ने कहा कि बीते 26 अक्टूबर को वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव से मिलकर उद्यमियों ने अपनी समस्याओं को रखा है।