विक्रमशिला सेतु के समानांतर गंगा में बनने वाले नए फाेरलेन पुल के लिए पहल तेज हाे गई है। पुल के लिए अधिग्रहित की जानेवाली जमीन का मूल्यांकन हाे गया है। अब अवार्ड करने की तैयारी है। इसके बाद रैयताें काे नाेटिस भेजकर दावा-अापत्ति ली जाएगी। एडीएम राजेश झा राजा ने बताया कि छह सदस्यीय कमेटी जमीन का मूल्यांकन पहले कर चुकी है। अब केवल अवार्ड हाेना बाकी है।

यानी अवार्ड हाेने का मतलब यह है कि रैयताें का नाम, ली जानेवाली जमीन अाैर कितना मुअावजे मिलेगा, इसका डिटेल हाेगा। यह प्रक्रिया भी जल्द ही पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद रैयताें काे नाेटिस भेजा जाएगा। 21 दिनाें के अंदर अापत्ति का निपटारा हाेगा। इसके साथ ही मुअावजे भुगतान की प्रक्रिया शुरू हाे जाएगी। उन्हाेंने दावा किया है कि मार्च तक हर हाल में रैयताें काे मुअावजे का भुगतान कर दिया जाएगा।

इसके बाद जमीन पुल निर्माण निगम काे हस्तांतरित कर दिया जाएगा। हालांकि इसके बाद भी पुल का निर्माण शुरू नहीं हाे सकेगा। कारण यह है कि डीपीअार की स्वीकृति अभी तक नहीं मिल सकी है। डीपीअार की फाइल पथ परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय में अटकी हुर्इ है। डीपीअार की स्वीकृति मिलने के बाद ही टेंडर की प्रक्रिया शुरू हाे सकेगी अाैर जब टेंडर हाेगा ताे इसके बाद ही निर्माण शुरू हाे सकेगा।

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जानकारी के मुताबिक 4.37 किलाेमीटर लंबा अाैर 19 मीटर पुल का निर्माण हाेना है। इस पुल के निर्माण से एनएच-31 अाैर एनएच-80 सीधे जुड़ जाएगा। इसके लिए मखुजान में 10.98 एकड़, महादेवपुर माैजा में 35.53 एकड़, परबत्ता में 0.48 एकड़ अाैर नगर निगम का 4.41 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हाेना है। कुल 51 एकड़ जमीन अधिग्रहण में करीब 53 रैयताें की जमीन ली जाएगी। इसके लिए 59 कराेड़ 12 लाख 33 लाख 718 रुपए का मुअावजा भुगतान हाेगा। हालांकि अभी पूरी राशि नहीं मिली है।

लेकिन विभागीय पदाधिकारी के मुताबिक जरूरत के हिसाब से राशि मिल जाएगी। बता दें पुल के निर्माण की प्रक्रिया 2016 से ही चल रही है। उस वक्त भागलपुर दाैरे पर जब सीएम नीतीश कुमार अाए थे, ताे उन्हाेंने ही इसकी घाेषणा की थी। पुल का निर्माण हाेने से विक्रमशिला सेतु पर जाम से लाेगाें काे राहत मिल सकेगी। पुल बनने से विक्रमशिला सेतु वन-वे हाे जाएगा।