लॉकडाउन खुलने के बाद ट्रेनाें का संचालन शुरू भी हो जाए, लेकिन यात्री सफर के लिए तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि बिहार जाने वाली ट्रेनों को छोड़ ज्यादातर ट्रेनों में अप्रैल से मई, जून तक सीटें खाली हैं, जबकि यह समय पीक सीजन का होता है। रेलवे के अनुसार, इन दिनों महज 7% टिकट बुक हो रहे हैं। पूर्व की बुकिंग भी लोग कैंसिल करवा रहे हैं। रेलवे ने शुक्रवार को फिर स्पष्ट किया है कि ट्रेनों के संचालन को लेकर अभी फैसला नहीं हुआ है। 22 मार्च यानी जनता कर्फ्यू के दिन से 14 अप्रैल तक ट्रेनों का संचालन बंद किया गया है।

रेलवे ने 14 अप्रैल के बाद के लिए ऑनलाइन बुकिंग खोल रखी है। सोशल डिस्टेंसिंग के चलते विंडो पर रिजर्वेशन बंद हैं। सामान्य दिनाें में रोज 14 लाख रिजर्वेशन होेते थे। इनमें से 8.85 लाख ऑनलाइन और 5.15 लाख विंडो के जरिये हाे रहे थे। लेकिन अभी स्थिति उलट है। काेरोना की वजह से लोग अप्रैल के बाद मई और जून यानी गर्मी की छुटि्टयों में भी यात्रा प्लान नहीं कर रहे हैं। राेज महज 1 लाख ऑनलाइन रिजर्वेशन हो रहे हैं। दिल्ली से बिहार जाने वाली ट्रेनों को छोड़कर भोपाल, जयपुर, रायपुर, रांची, अहमदाबाद, लखनऊ, कालका वाली ट्रेनाें में सीटें उपलब्ध हैं। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार कोरोना के चलते लोग सफर करने से डर रहे हैं।

मजदूर ही नहीं, मालगाड़ी लोड-अनलोड करने में अभी तीन गुना समय लग रहा

नई दिल्ली| दिहाड़ी मजदूरों के गांव लौटने से मालगाड़ियों में सामान लोड-अनलोड में परेशानी आ रही है। पहले की तुलना तीन गुना तक अधिक समय लग रहा है। रेलवे लॉकडाउन से अब तक 6.75 लाख वैगन जरूरी सामान की अापूर्ति कर चुका है और रोज 35 हजार वैगन भेजी जा रही है। इसमें अनाज, नमक, शकर, खाने का तेल, कोयला और पेट्रोलियम पदार्थ हैं। एक मालगाड़ी लोड-अनलोड करने में करीब 200 मजदूर लगते हैं, जो 8 घंटे में मालगाड़ी खाली कर देते हैं। लेकिन इस समय 24 घंटे लग रहे हैं। उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार बताते हैं कि लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में अधिक परेशानी हुई थी। अब धीरे-धीरे मजदूर िमलने लगे हैं।

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