बिहार की एक लाख से ज्यादा महिला शिक्षकों को अब गृहस्थी संवारने में सहूलियत होगी। महिला शिक्षिकाएं जो कई सालों से शिक्षक की नौकरी कर रही हैं और उनका तबादला नहीं हो पा रहा था। कई महिलाओं की मायके में हुई पोस्टिंग की वजह से ससुराल जाने में भी समस्या हो रही थी। नई नियमावली से दिव्यांग शिक्षकों को भी सहूलियत होगी, जो वर्षों से अपने ट्रांसफर का इंतजार कर रहे हैं। शिक्षा विभाग ने इससे जुड़ी नियमावली को हरी झंडी दे दी है। अब मई में शिक्षकों के ट्रांसफर के लिए आवेदन लिए जा सकेंगे और जून में ट्रांसफर कर दिए जाएंगे।

नियमावली के बाद ट्रांसफर आसान

शिक्षा विभाग ने तबादले से जुड़ी नियमावली को हरी झंडी दे दी है। इसके बाद राज्य में उन महिलाओं और दिव्यांग शिक्षकों के लिए अंतर जिला और अंतर नियोजन इकाइयों के बीच ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। भास्कर ने महिला सिक्षकों की समस्या को उठाते हुए चार महीने पहले ही 15 साल से बेटियां ससुराल नहीं जा पा रही हैं शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बताया कि नियमावली को मंजूरी मिलने के बाद मई में शिक्षकों के ट्रांसफर के लिए आवेदन लिए जा सकेंगे और जून में ट्रांसफर कर दिए जाएंगे। अंतर जिला और नियोजन इकाइयों के बीच ट्रांसफर पर सैद्धांतिक सहमति को सेवा शर्त में पहले ही शामिल किया जा चुका है। अब नियमावली बन जाने के बाद ट्रांसफर भी संभव हो सकेगा।

मायके में रहकर नौकरी करने की मजबूरी

महिला शिक्षिकाओं को इससे सबसे ज्यादा राहत मिलेगी। नियोजन के बाद सरकार ने घर के पास वाले इलाके के स्कूलों में पोस्टिंग तो कर दी। लेकिन, इस बीच कई महिलाओं की शादी हो गई और वे अपने मायके में ही रहकर नौकरी करने को मजबूर हैं। वे चाहती हैं कि उनका ट्रांसफर ससुराल के पास वाले स्कूल में कर दिया जाए। लेकिन यह नहीं हो पा रहा था। इस तरह की महिलाओं की संख्या काफी है। इन्हें बच्चों को भी साथ रखना पड़ रहा है। यानी पूरा परिवार अस्त-व्यस्त है। बच्चों की पढ़ाई पर भी इसका असर पड़ रहा है। महिला शिक्षकों की ज्यादा संख्या प्राथमिक स्कूलों में है और वे सुदूर इलाकों तक आ-जा रही हैं।

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वैसे दिव्यांग जिन्हें सहारे की जरूरत है, राहत मिलेगी

दिव्यांगों की परेशानी यह है कि उन्हें परिवार के सहारे की सख्त जरूरत पड़ती है। लेकिन उनका भी ट्रांसफर नहीं हो रहा था। नई शिक्षक शर्त नियमावली के अनुसार महिलाएं और दिव्यांगों को अपने सेवाकाल में एक बार अंतर जिला और अंतर नियोजन इकाई ट्रांसफर किया जा सकेगा। साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों में महिलाओं और दिव्यांगों की संख्या लगभग डेढ़ लाख है।