नवगछिया : रिकार्ड तोड़ गर्मी के बावजूद इसबार लीची बगानों में लीची पर लाली आने लगी है। यह देख किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। 20 मई से देसला और पांच जून से मनराजी प्रजाति की लीची टूटने भी लगेगी। नवगछिया अनुमंडल के अमरपुर, बभनगामा ,लत्तीपुर, अरसंडी, जयरामपुर, औलियाबाद, दयालपुर, झंडापुर, मिलकी, हरियो, नवगछिया, गोपालपुर, खरीक व नारायणपुर प्रखंडों में बड़ी संख्या में लीची के बगान हैं। अमरपुर के किसान संजय चौधरी, रामदेव चौधरी, राजीव सनगही, प्रभाषचंद्र चौधरी आदि बताते है कि गत वर्ष तीखी धूप, तपिश के कारण लीची झुलस गई थी।

बारिश नहीं होने से लीची का दाना भी छोटा रह गया था। 700 लीची में फूल होने वाला डिब्बा 1000 लीची में फूल हुआ था। इस वर्ष बगानों में लीची का फलन दोगुना हुआ है। फल की गुणवत्ता भी अच्छी है। एक-दो दिनों में बारिश हो जाती है तो मनराजी लीची को और फायदा होगा। लीची की खरीदारी के लिए व्यापारी पहुंचने लगे हैं। यहां की लीची डिमांड दिल्ली, यूपी, पश्चिम बंगाल, पंजाब समेत अन्य कई राज्यों और पड़ोसी देश नेपाल में भी है।

यहां प्रत्येक वर्ष लीची का कारोबार तीन से चार करोड़ रुपये तक का होता है। किसान बताते हैं कि लीची उत्पादन में एक एकड़ में 20 हजार रुपये का खर्च आता है। फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट से किसानों को मिलता फायदाकिसान कहते हैं कि नवगछिया अनुमंडल में लीची, मक्का, केला, आम की बड़े पैमाने पर पैदावार होती है। अगर यहां फ्रूट व फूड प्रोसेसिंग यूनिट व शीतगृह उपलब्ध हो जाए तो किसानों के साथ-साथ सरकारी राजस्व को भी काफी फायदा होगा।

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लीची उत्पादन में मधुमक्खी पालन मददगार किसान संजय चौधरी कहते हैं कि लीची बगान में मधुमक्खी पालन से लीची की गुणवत्ता ज्यादा अच्छी होती है। मधुमक्खी के द्वारा परागण क्रिया से लीची को काफी फायदा होता है। इस कारण ज्यादातर लीची किसानों ने बगानों में मधुमक्खी शुरू कर दिया है।