लॉकडाउन और रविवार होने की वजह से सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ था। मगर जीरोमाइल, विक्रमशिला पुल और बायपास पर गाड़ियों की संख्या अधिक थीं। विक्रमशिला पुल पर नवगछिया की तरफ से कुछ किसान अपने सामान के साथ भागलपुर आ रहे थे। किसान रामप्रवेश ने कहा कि नवगछिया में बिक्री कम होती है। खेतों में फसल बर्बाद हो रही है तो पूंजी बचाने के लिए शहर आकर सामान बेच रहे हैं। तरबूज, खीरा और सब्जी बेचने के लिए पहले भी भागलपुर ही आते थे, लेकिन अभी डर है कि अगर सामान नहीं बिका तो परेशानी होगी।

मंडी में काफी कम दाम मिलता है। इसलिए खुद ही बेचने के लिए निकले हैं, ताकि खेती में लगी पूंजी भी वापस हो जाए। रामप्रवेश ने कहा कि कोरोना के डर से साग-सब्जी के साथ खीरा और तरबूज खरीदने वालों की संख्या कम हुई है। पहले जितनी मांग थी, उतनी दे नहीं पाते थे। इस बार जो फसल तैयार हुई है, उसका आधा भी बिक जाए तो राहत मिल जाएगी। खत्म हुआ अनाज तो लाने निकलेउधर, गांव में अनाज खत्म होने पर ममलखा से घनश्याम अपने भाई के साथ नवगछिया जा रहे थे।

ठेले पर सवार दोनों भाइयों ने कहा कि नवगछिया की तरफ खेत को बटाई पर लगाए हैं। बटाईदार से ही अनाज लाने के लिए जा रहे हैं, ताकि आगे बंदी होने पर परिवार को खाने लिए अनाज की कमी नहीं रहे। कहलगांव जाने के लिए ट्रक का कर रहे इंतजारवहीं जीरोमाइल चौराहे पर मुंगेर से आए छह के श्रमिकों को कहलांव जाना था। तपती धूप की वजह से वह आगे नहीं बढ़ पा रहे थे।

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जीरोमाइल चौक पर बैठे लोगों ने कहा कि वे लोग ट्रक या छोटी गाड़ी का इंतजार कर रहे हैं। अगर गाड़ी नहीं मिली तो देर शाम के बाद ही पैदल कहलगांव के लिए निकलेंगे। श्रमिक भैरव और बमन साह ने कहा कि रोजगार खत्म हो गया है। बाहर कितने दिन रह पाते, इसलिए घर जा रहे हैं।