नवगछिया : अनुमंडल के प्रसिद्ध व प्राचीन मंदिरों में भवानीपुर की काली मंदिर सबसे अद्भुत है। रंगरा प्रखंड के भवानीपुर स्थित माता दक्षिणेश्वरी काली की प्रतिमा स्थापित होती है। बालमुकुंद पोद्दार के घर से काली पूजा की प्रथा का शुरू हुई थी। ग्रामीणों ने बताया कि पोद्दार परिवार के बच्चों द्वारा खेल-खेल में मिट्टी से काली की प्रतिमा बनाई गई थी। इसके बाद से यहां पूजा हो रही है।

जब वे लोग आर्थिक स्थिति के कारण सही तरीके से पूरी व्यवस्था करने में सक्षम नहीं रहे तो ग्रामीणों ने मंदिर का निर्माण कराया। प्रतिमा स्थापित होने के बाद आज भी बालमुकुंद पोद्दार के वंशज भूसी पोद्दार के घर से नैन देने की प्रथा है। यहां वैदिक पद्धति से माता की पूजा की जाती है। दीपावली की रात पूजा होती है और माता के फुलाईस कुबूलने के बाद ही मेले का शुभारंभ होता है। मां के दर्शन के लिए यहां हजारों श्रद्धालु आते है। मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से मां के दरबार में शीश झुकाते हैं उनकी मुरादें पूरी होती हैं। इसके बाद श्रद्धालु सोने व चांदी की बिंदी, झांप, नथ, टीका, मुंडमाला, पायल आदि चढ़ाते हैं।

28 अक्टूबर से होगी तीन दिवसीय दंगल प्रतियोगिता

इस बार 27 अक्टूबर की रात प्रतिमा स्थापित की जाएगी। 29 अक्टूबर को प्रतिमा का विसर्जन होगा। 28 व 29 अक्टूबर की रात जागरण व झांकी का भव्य आयोजन होगा। 28, 29 व 30 अक्टूबर को महा दंगल का भी आयोजन किया जाएगा। बीते सालों में जितने भी मंदिर के व्यवस्थापक मनोनीत हुए थे। उन्हें इस वर्ष विशेष रुप से सम्मानित किया जाएगा। इस वर्ष वैदिकाचार्य पंडित प्रभात झा, आचार्य शैलेश झा व मंदिर के पुरोहित पप्पू मिश्र के सानिध्य में यजमान के रूप में मंदिर व्यवस्थापक प्रशांत कुमार उर्फ पिंटू यादव पूजन करेंगे।

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