नवगछिया : करीब 8 लाख की आबादी की सेहत सुविधाओं को मुहैया कराने वाले अनुमंडलीय अस्पताल की हालत बेहद बदतर हो चुकी है। 30 बेड वाला यह अस्पताल रेफर अस्पताल बन चुका है। सर्दी-खांसी, बुखार और नार्मल डिलेवरी के अलावा यहां किसी भी गंभीर मरीज के इलाज का रिस्क नहीं लिया जाता है। इस अस्पताल पर अनुमंडल के 7 ब्लॉक, एक नगर पंचायत की आबादी की जिम्मेदारी है। इसके अलावा 40 किलोमीटर लंबी एनएच 31, 35 किलोमीटर लंबी विक्रमशिला पुल व विजयघाट पुल पहुंच पथ और 14 नंबर सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं में घायल भी इसी अस्पताल में इलाज के लिए लिए पहुंचते हैं। बावजूद इस अस्पताल पर सेहत महकमे के जिम्मेदारों की नजर नहीं है। इनके गैर जिम्मेदाराना वर्किंग से जैसे-तैसे व्यवस्था चल रही है।

31 डॉक्टरों के स्वीकृत पद के बावजूद मात्र 4 डॉक्टरों के भरोसे यह अस्पताल जैसे-तैसे अपने उद्देश्य को पूरा कर रहा है। दो शिफ्ट में चलने वाली ओपीडी सेवा अब सिर्फ एक शिफ्ट में चल रही है। सांध्य छह से आठ तक चलने वाली ओपीडी सेवा बंद कर दी गई है। इमरजेंसी सेवा सिर्फ रेफर करने के लिए है। अस्पताल में चिकित्सक व सुविधाओं की कमी के कारण घटना-दुर्घटना में घायल मरीजों को सिर्फ प्राथमिक उपचार ही मिल पाता है।

डॉक्टरों की कमी से दो शिफ्ट वाली ओपीडी सेवा एक में सिमटी, शाम में लौट रहे हैं मरीज

31 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं पर महज 4 की है पोस्टिंग इलाज के नाम पर सिर्फ प्राथमिक उपचार होता है

नवगछिया अनुमंडल अस्पताल के ब्लड स्टोरेज यूनिट में बेकार पड़े उपकरण।

30 बेड वाले इस अस्पताल में न सर्जन हैं न चाइल्ड स्पेशलिस्ट

अनुमंडल के 30 बेड वाले इस अस्पताल में न सर्जन हैं और न ही फिजिशियन है। इसके अलावा बाल रोग विशेषज्ञ भी नहीं हैं। दंत विभाग भी खाली है। एक उपाधीक्षक का पद है वह भी तीन वर्षों से खाली है, जो प्रभार में चल रहा है। अस्पताल में ओटी असिस्टेंट, फार्मासिस्ट का पद रिक्त है। 31 डॉक्टरों के स्वीकृत पद वाले इस अस्पताल की ताजा बानगी यह है कि यहां महज 4 डॉक्टर ही मौजूद हैं। इनमें डॉक्टर एके सिन्हा नेत्र रोग विशेषज्ञ, डॉक्टर राकेश झा, हड्डी रोग विशेषज्ञ, डॉक्टर अंजू तुरियार स्त्री रोग विशेषज्ञ और डॉक्टर ज्येतिषना झा स्त्री रोग विशेषज्ञ का नाम शामिल है। इनके भरोसे इतना बड़ा यह अस्पताल चल रहा है।

Whatsapp group Join

लोगों ने कहा, शाम की ओपीडी भी शुरू कराए प्रशासन

अनुमंडल अस्पताल में शाम में चलने वाले ओपीडी में इलाज कराने के लिए रोजाना पहुंचने वाले मरीज बिना इलाज के ही वापस लौट रहे हैं। बीते गुरुवार की बात करें तो शाम में ओपीडी सेवा में इलाज कराने आए भवानीपुर के उमेश कुमार, हरनाथचक के अभिषेक मंडल को बिना इलाज ही लौटना पड़ा। उमेश बुखार से पीड़ित था और अभिषेक सर्दी खांसी से पीड़ित था। पीड़िता मरीजों ने बताया कि संध्या समय इलाज के लिए ही अस्पताल आया था, लेकिन बिना इलाज के ही लौटना पर रहा है। लोगों ने कहा है कि शाम में भी ओपीडी सेवा प्रशासन चालू कराए।

ऐसे बिगड़ी अस्पताल की व्यवस्था

अस्पताल में डॉ बरुन कुमार प्रतिनियुक्ति पर है, लेकिन योगदान देने के बाद एक भी दिन ये अस्पताल नहीं आए। बाद में इनका डेपुटेशन आयुष्मान भारत के तहत पटना में हो गया। डॉ. वीपी राय जो अस्पताल में प्रभारी उपाधीक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त थे, उनका भी डेपुटेशन राज्य स्वास्थ्य समिति में चार सप्ताह पहले कर दिया गया। पूर्व में डॉ. ज्ञानरंजन की प्रतिनियुक्त यहां की गई थी, लेकिन इन्हें भी नाथनगर रेफरल अस्पताल भेज दिया गया। डॉ. एम पोद्दार थे, जिन्हें बिहपुर पीएचसी प्रभारी बना दिया गया।

बंद हो गया ब्लड स्टोरेज यूनिट

अनुमंडल अस्पताल में पांच वर्षों तक बंद पड़े ब्लड स्टोरेज यूनिट बीते वर्ष चालू हुआ था। पर यह एक वर्ष भी चालू स्थिति में नहीं रह पाया। यहां प्रतिनियुक्त किए गए डॉक्टर डॉक्टर एम पोद्दार को बिहपुर पीएचसी का प्रभारी बना दिया गया। इसके कारण यह यूनिट तत्काल स्थाई रूप से बंद हो गई है। इस यूनिट के लिए प्रतिनियुक्त लैब टेक्नीशियन अजित प्रकाश ने कहा कि इसका लाइसेंस भी डॉक्टर एम पोद्दार के नाम से था। अब जब तक दूसरे डॉक्टर नहीं आते हैं, तब तक स्टोरेज यूनिट बंद ही रहेगी।

एक डॉक्टर को करनी पर रही है 16 घंटे ड्‌यूटी