सावन की तीसरी साेमवारी यानि पांच अगस्त को नागपंचमी मनाई जाएगी। श्रद्धालु दूध, धान का लावा के साथा नाग देवता की पूजा-अर्चना करेंगे। इस दिन मनसा देवी मंदिराें व घराें में भी लाेग नाग-देवता की पूजा करेंगे। इस बार तीसरी साेमवारी व नागपंचमी हाेने के कारण विशेष पूजा-अर्चना किया जाएगा। शहर के शिव मंदिराें में पूरे दिन नाग देवता की पूजा के लिए दिनभर लाेगाें की अावाजाही रहेगी। नागपंचमी के दिन नाग देवता काे दूध-लावा चढ़ाने की प्राचीनद परंपरा रही है।

इधर, शहर के मनसा विषहरी मंदिरों में प्रतिमाओं का निर्माण जोर-शोर से चल रहा है। शहर में कई स्थानों पर मेले का आयोजन किया जाएगा। जहां काफी संख्या में भक्त मां के दर्शन कर आशीष लेंगे। इसके लिए मेढ़पतियों ने तैयारी शुरू कर दी है। बता दें, इस बार नागपंचमी पंचमी 5 अगस्त काे पड़ रहा है। चैती दुर्गा मंदिर के पंडित द्यानद पाण्डेय ने बताया कि सावन की तीसरी साेमवारी के दिन नागपंचमी पड़ना काफी महत्व रखता है।

इस तरह का संयाेग बहुत ही दुर्लभ माना गया है। क्याेंकि सदियाें में एेसा संयाेग बनता है, जब सावन के महीने में साेमवार के दिन नागपंचमी भी साथ हाे।

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कई साल बाद एेसा संयाेग 5 अगस्त काे बना है। जब सावन साेमवारी अाैर नागपंचमी एक साथ मनेगी। इसलिए इस दिन नाग देवता की पूजा-अर्चना का पुण्य लाभ अर्जित किया जा सकता है। उन्हाेंने बताया कि नाग पंचमी के दिन शिवलिंग के ऊपर चांदी या ताम्बे से बने नाग-नागिन के जाेड़े रखकर शिवजी काे जल या दूध से अभिषेक करना चाहिए जिससे जातक काे मनवंाछित फल मिलता है और परिवार में अकाल मृत्यु की संभावना खत्म हो जाती है।