खगड़िया में गुरुवार को एक विवाहिता ने आत्महत्या कर ली। घटना जिले के चित्रगुप्त नगर थाना क्षेत्र के चित्रगुप्त नगर मोहल्ले की है। मृतका की पहचान राजस्थान बाड़ा के रहले वाले अनिल कुमार की 28 वर्षीय पत्नी भारती कुमारी के रूप में हुई है। मृतिका विगत 4 माह से चित्रगुप्त नगर स्थित अपने मायके में रह रही थी। परिजनों के अनुसार, मृतिका का अपने पति से मनमुटाव चल रहा था।

घटना के संबंध में मृतिका के भाई कृष्ण नंदन कुमार और पिता जनार्दन मिस्त्री ने बताया कि बुधवार रात विवाहिता सोने को अपने कमरे में गई थी। सुबह जब नहीं निकली तो परिजनों ने उसके रूम में जाकर देखा, जहां वह छत के रॉड में दुपट्टे से लटकी मिली। इधर, घटना की जानकारी पर चित्रगुप्त नगर थाना पुलिस ने शव को कब्जे में लेते हुए पोस्टमार्टम हेतु सदर अस्पताल भेज दिया। जहां शव का पोस्टमार्टम करा उसे परिजनों को सौंप दिया गया।

अस्पताल में शव के पास मौजूद परिजन।
अस्पताल में शव के पास मौजूद परिजन।

4 महीने से मायके में थी
मृतिका में भाई कृष्ण नंदन कुमार ने बताया, उनकी बहन अपने पति के साथ राजस्थान में रहती थी, जहां उसके पति प्राइवेट जॉब करते हैं। भाई ने बताया कि उनकी बहन ने एक माह पूर्व बीएड की परीक्षा में सफल हुई थी। उन्होंने कहा कि पति से अनबन के कारण वह राजस्थान से मायके आई थी। उसका एक 2 साल का बेटा भी है।

बेटे के रंग को लेकर ताना मारता थ पति
मायके वालों ने बताया भारती सांवले रंग की थी और उसका बेटा गोरा रंग का है। घटना के दो दिन पहले बच्चे और मां के रंग को लेकर पति-पत्नी में झगड़ा हुआ था। पति बच्चे के गोरे होने और पत्नी के सावली होने को लेकर पत्नी को ताना (कि बच्चा उनका नहीं है) मरता था। जिसके कारण विवाहिता लड़की तनाव में थी।

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इस संबंध में चित्रगुप्त नगर थानाध्यक्ष संजीव कुमार ने बताया कि मामले में मृतक महिला के परिजनों द्वारा आवेदन आने के बाद पुलिस उसके अनुसार कार्रवाई करेगी।

ऐसे होता है बच्चे के रंग का निर्धारण
वहीं, इस संबंध में डॉक्टर श्वेता रावत ने कहा- पति पत्नी का रंग काला भी होता है तो भी बच्चा गोरा हो सकता है। बच्चे के रंग का निर्धारण मेलानिन हार्मोन से होता है। इस हार्मोन से स्किन बनता है, इसकी कमी से ही रंग पर असर होता है। बच्चा के बारे में मां कैसा सोचती है, इसपर भी निर्भर होता है। पति-पत्नी का विश्वास और डीएनए ही इसका निर्धारण कर सकता है। अधिकतर ऐसे मामलों पिता की शंका या मन का भ्रम होता है। मां के गर्भ में जो बच्चा होता है और मां जैसा सोचती है वैसा बच्चे पर असर होता है