बिहार सहित देश के विभिन्न राज्यों में हो रही लगातार बारिश के कारण बरसाती नदियों उफान पर है, वहीं गंगा के जलस्तर में भी रोज 72 सेंमीमीटर की वृद्धि हो रही है। गंगा के रौद्र रूप को देख तटवर्ती क्षेत्रों में रह रहे लोगों को बाढ़ की आशंका सताने लगी है। लोग अनाज, जलावन एवं पशु चारे को ऊंचे जगह पर धीरे-धीरे भंडारित करने लगे हैं। हालांकि, जलस्तर में इस वृद्धि से अभी कोई नुकसान होने की सूचना नहीं है।

केंद्रीय जल आयोग बेतार केंद्र हनुमान घाट के स्थल प्रभारी जितेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि गंगा के जलस्तर में प्रतिघंटा तीन सेंटीमीटर की वृद्धि हो रही है। पूर्वानुमान में आगे और वृद्धि जारी रहने का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि शनिवार की संध्या तीन बजे गंगा का जलस्तर 27.310 मीटर रिकार्ड किया गया है। जबकि भागलपुर में खतरे का निशान 33.680 मीटर है। यानि अभी गंगा खतरे के निशान से 6.37 मीटर दूर है।

कटाव से आधा दर्जन गांवों का अस्तित्व खतरे में

जल संसाधन विभाग की उदासीनता के कारण खरीक और बिहपुर प्रखंड के तटवर्ती लोगों को इस बार फिर प्रलंयकारी बाढ़ और कटाव का सामना करना पड़ सकता है। जुलाई का प्रथम सप्ताह बीत जाने के बाद भी गंगा और कोसी क्षेत्रों में कटाव शुरू हो गया है। सरकारी स्तर पर कटाव रोकने के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। नरकटिया तटबंध की हालत ठीक नहीं है। वहीं काजीकोरैया राघोपुर तटबंध की स्थिति भी नाजुक बनी हुई है। ऐसे में सिंहकुंड, लोकमान्यपुर, ढोढिया पीपरपांती, चोरहर मैरचा, कहारपुर गांव का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।

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खरीक प्रखंड की लोकमान्यपुर पंचायत के सिंहकुंड गांव के पीडि़त ग्रामीणों ने कटाव स्थल पर पहुंच कर जल संसाधन विभाग के पदाधिकारियों एवं जिला प्रशासन के खिलाफ विरोध जताया। उनका कहना था कि अगर यही स्थिति रही तो कई गांव कट जाएंगे। वर्तमान समय में तो उपजाऊ जमीन नदी में समाती जा रही है।

कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि के साथ सिंहकुंड गांव के दक्षिणी और उतरी छोर में कटाव शुरू हो गया है। कटाव को देखकर कोसी किनारे बसे गांवों में रहने वाले लोग भयभीत हैं। उन्हें आशंका सता रही है कि कहीं फिर से उन्हें विस्थापित न होना पड़े।

बताते चलें कि सिंहकुंड गांव के कई टोला के लगभग 25 परिवार बीते वर्ष कोसी नदी के कटाव के कारण विस्थापित हो गए थे। साल भर से वे बांध पर जिंदगी बिताने को विवश हैं। वहीं कई परिवार अपना-अपना आशियाना तोडऩे को विवश हैं। पंचायत के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कई बार प्रशासन को आगाह किया लेकिन प्रशासन ने कटाव रोकने के लिए कोई काम नहीं किया गया। मो. आबिद समेत सैकड़ों ग्रामीणों ने कहा कि कटाव स्थल पर प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जाना निराशाजनक है। कोसी व गंगा नदी के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की जा रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि अभी जलस्तर बढ़ गया है तो कटाव का खतरा के साथ बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि जलस्तर में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। कई जगहों पर बांध की मरम्मत का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। इस वजह से लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है।

आंदोलन की दी धमकी

इधर जिला पार्षद गौरव राय ने कहा है कि जल संसाधन विभाग इस बार कटावरोधी कार्य कराने में दोहरी नीति अपना रहा है। जिसके कारण आज कटाव की स्थिति भीषण हो गई है। लोकमानपुर पंचायत के सिंहकुंड में कोसी से हो रहे भीषण कटाव पर जिला पार्षद गौरव राय ने आक्रोश जताते हुए कहा कि यह जल संसाधन विभाग की विफलता है। श्री राय ने कहा कि वे इसकी सूचना माननीय मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से त्राहिमाम संदेश भेजा है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कटाव रोकने की जल्द व्यवस्था नहीं की गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।

जलस्तर में वृद्धि से लोगों में दहशत का माहौल

नवगछिया क्षेत्र में प्रत्येक दिन 50 सेंटीमीटर जल बढ़ रहा है। अभियंताओं की टीम ने गंगा नदी में कटाव स्थल का जायजा लिया। इसका नेतृत्व जल संसाधन के फ्लड फाइटिंग फोर्स के अध्यक्ष उमाशंकर सिंह ने किया। बाढ़ नियंत्रण के कार्यपालक अभियंता अनिल कुमार, अधीक्षण अभियंता महेंद्र प्रसाद टीम में मौजूद थे। अधीक्षण अभियंता ने बताया कि गंगा एवं कोसी की जलस्तर 50 सेंटीमीटर प्रतिदिन वृद्धि हो रही है। लेकिन अभी किसी भी तटबंध पर कोई खतरा नहीं है। नगरपारा से मदरौनी के बीच कोसी नदी के पानी का दवाब था। अभी नदी जलस्तर मदरौनी में कोसी नदी 27.95 सेंटीमीटर पर बह रही हैं। इस्माइलपुर बिंदटोली में 27.36 पर गंगा नदी बह रही हैं। नदी चेतावनी के स्तर से काफी नीचे हैं। कोसी नदी में अगले 24 घंटे में डेढ़ से दो सौ घन क्यूसेक पानी आने का अनुमान है।

कहलगांव और पीरपैंती क्षेत्र में दहशत

कहलगांव में गंगा सहित अन्य नदियों में अचानक जलस्तर बढ़ जाने बाढ़ की आशंका बन गई हैं। लोग खतरे में हैं। दहशत में जी रहे हैं। गंगा में हो रहे कटाव से लोग पलायन करने लगे। वहीं, पीरपैंती और दियारा क्षेत्र में स्थिति और भयवाह हो गई है