कार्तिक पूर्णिमा इस बार 23 नवंबर है। इस दिन निकलने वाला चांद सत्तर साल के इतिहास का सबसे बड़ा चांद होगा। इस दिन चंद्रमा ठीक 180 अंश पर होता है। इस दिन चंद्रमा से जो किरणें निकलती हैं, वह काफी सकारात्मक होती है। यह किरणें सीधे दिमाग पर असर डालती है।

चूंकि चंद्रमा पृथ्वी के सबसे अधिक नजदीक है, इसलिए पृथ्वी पर सबसे ज्यादा प्रभाव चंद्रमा का ही पड़ता है। इसलिए पूर्णिमा वाले दिन हर मनुष्य को अपनी मानसिक ऊर्जा में वृद्धि करने के लिए चंद्र को अर्घ्य देकर स्तुति करनी चाहिए। ज्योतिषाचार्य प्रो. पं. सदानंद झा ने बताया कि भविष्य पुराण के अनुसार वैशाख, माघ और कार्तिक माह की पूर्णिमा स्नान व दान के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। इस पूर्णिमा में जातक को नदी या अपने स्नान करने वाले जल में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए, इसके बाद भगवान विष्णु का विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए। इस दिन मनुष्य को पूरे दिन उपवास रखकर एक समय भोजन करना चाहिए। अपनी सामर्थ्य अनुसार गाय का दूध, केला, खजूर, नारियल व अमरूद आदि फलों का दान करना चाहिए। ब्राह्मण, बहन व बुआ आदि को कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है।

विशेष महत्व : ऐसे करें पूर्णिमा पर स्नान

ज्योतिषाचार्य प्रो. पं. सदानंद झा ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के संबंध में ऋषि अंगिरा ने लिखा है, इस दिन सबसे पहले हाथ-पैर धो लें फिर आचमन करके हाथ में कुशा लेकर स्नान करें। यदि स्नान में कुश और दान करते समय हाथ में जल व जप करते समय संख्या का संकल्प नहीं किया जाए तो कर्म फलों से संपूर्ण पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है। दान देते समय जातक हाथ में जल लेकर ही दान करें। गृहस्थ व्यक्ति को तिल व आंवले का चूर्ण लगाकर स्नान करने से असीम पुण्य मिलता है। विधवा व संन्यासियों को तुलसी के पौधे की जड़ में लगी मिट्टी को लगाकर स्नान करना चाहिए। वहीं वैशाख, माघ और कार्तिक माह की पूर्णिमा स्नान व दान के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। महालक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के साथ दान पुण्य करंे और साधु-संत व गरीबों को खाना खिलाएं।

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प्रसन्न होती हैं माता लक्ष्मी

प्रो. पं. झा ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा का दिन मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है। इस दिन माता लक्ष्मी की आराधना करने से जीवन में खुशियों की कमी नहीं रहती है। सुबह 5 बजे से 10:30 मिनट तक लक्ष्मी का पीपल में वास होता है।