आए दिन हम सुनते रहते है कि फलां दुकान सें नकली दवा पकड़ी गई। या फिर सुनते है कि नकली दवाओं की पूरे बाजार में भरमार है। इस खबर को सुनने और जानने के बाद लोगों में इस बात की बेचैनी बढ़ जाती है कि पता नहीं वह दवा नकली खरीद रहे या असली।

तो जान जाइए अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। सरकार ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिसके माध्यम से आप नकली और असली दवाओं की पहचान आसानी कर सकेंगे। या यूं कहे कि अब दवा विक्रेता नकली दवाई नहीं बेच पाएगा। और यदि बेचा भी गया तो वह पकड़ में आ जाएगा। गौर हो कि असल में घरेलू बाजार में नकली दवाइयों की शिकायत अक्सर आती है। इससे मरीजों की जान के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है। ऐसे में यूनिक कोड होने से प्राइमरी लेवल पर केमिस्ट खुद असली और नकली दवा में पहचान कर सकेगा। नकली दवा बनाने वाले अपनी ओर से कोड डालते हैं तो भी एसएमएस के जरिए पता चल जाएगा कि यह दवा नकली है।

सरकार ने इसके लिए एक ऐसी योजना बनाई है जिससे आप खुद असली या नकली दवा की पहचान कर सकेंगे। वह यह कि घरेलू बाजार में मिलने वाली दवाइयों की पैकिंग पर भी एक यूनिक कोड छपा होगा, जिसे आप एसएमएस कर आसानी से पता लगा सकेंगे। एसएमएस करते ही यह पता चल जाएगा कि दवा किस कंपनी द्वारा तैयार की गई है और वह असली है या नकली।

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गौर हो कि आपको यह मालूम होना चाहिए दवाइयों की पैकिंग पर 14 डिजिट का यूनिक कोड नंबर प्रिंट होगा। इसमें दवा की ओरिजिन से लेकर इसकी पूरी सप्लाई चेन की जानकारी होगी। कोई भी कंज्यूमर दवा लेने के बाद यूनिक कोड नंबर को एसएमएस कर सकेगा। एसएमएस करते ही दवा की ओरिजिन कंपनी के अलावा इसके सप्लाई चेन की जानकारी मिल जाएगी। इस तरह से आप नकली दवा लेने की किसी भी संभावना से बच जाएंगे।

देश की सबसे बड़ी एडवाइजरी बॉडी नकली दवाओं की बिक्री पर अंकुश लगाने के उपायों पर चर्चा करने का प्लान कर रही है। इसके लिए सरकार 300 दवा ब्रान्डों और उसके कंजम्पशन पैटर्न का डाटा बैंक बनाने की योजना बना रही है। उसके बाद दवा कंपनियों को दवा की पैकिंग पर एक यूनिक 14 डिजिट का अल्फान्यूमेरिक कोड प्रिंट करने के लिए कहा जाएगा। 2014 और 2016 के बीच भारत में घटिया दवाओं के अनुपात की जाच के लिए किए गए एक सरकारी सर्वे में 3.16 फीसद सैंपल घटिया पाए गए थे जबकि 0.02 फीसद सैंपल नकली थे।