भागलपुर : आज मां काली की प्रतिमा 12 बजे रात तक स्थापित हो जायेगी। प्रतिमा का निर्माण अंतिम चरण में है। कई जगहों पर पंडाल बनकर तैयार हो गये हैं।

रिकाबगंज स्थित नवयुगी काली का पंडाल मंदिर के आकार का बनाया गया है। मंदरोजा के हड़बड़िया काली का गेट कोतवाली चौक पर मंगलवार तक तैयार हो जायेगा। परबत्ती, तिलकामांझी, गोलाघाट, बरारी, ओंकार काली मंदिर की सजावट का काम पूरा हो गया है। नवयुगी काली पूजा समिति ने विश्वविद्यालय गेट से लेकर सराय एसबीआई एटीएम तक सजावट की है। अध्यक्ष प्रकाश सिंह कुशवाहा ने बताया कि यहां 1976 से पूजा-अर्चना कराई जा रही है।

प्रतिमा मंगलवार को वेदी पर स्थापित हो जाएगी। उधर सिद्वेश्वरी काली मंदिर, बरारी बड़गाछ चौक का पंडाल भी तैयार हो गया है। महामंत्री सितांशु अरूण ने कहा कि मंदिर की स्थापना 1943 में हुई थी। काली पूजा के दौरान रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा।

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महानिशिथ काल में होती है मां काली की पूजा
ज्योतिष योग शोध केन्द्र, बिहार के संस्थापक पंडित आरके चौधरी ने बताया कि सनातन धर्म में देवी काली को समर्पित यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। काली की पूजा महानिशिथ काल में करने का विधान है। जो छह नवम्बर की रात्रि में अति शुभ मुहूर्त 11:30 बजे से 12:30 बजे तक है। शास्त्रों में मान्यता के अनुसार इसी दिन माता काली 64 हजार योगिनियों सहित प्रकट हुई थीं।

कई जगहों पर होती है तांत्रिक ढंग से पूजा 
कई जगहों पर तांत्रिक व वैदिक रीति-रिवाज से पूजा-अर्चना होती है। हड़बड़िया काली मंदिर के पुजारी पंडित मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि मां काली के गुस्सा को शांत करने के लिए उनके सामने केला व ईख रखा जाता है जिससे मां काली प्रसन्न होती हैं। यहां पांच पंडितों द्वारा स्तुति व हवन कराया जाता है। मशानी काली के पुजारी पंडित अशोक ठाकुर ने बताया कि कालरात्रि के दिन तंत्र की प्रधानता होती है