भागलपुर. भागलपुर लोकसभा सीट में जदयू प्रत्याशी अजय कुमार मंडल ने राजद के शैलेश कुमार ऊर्फ बुलो मंडल को 2.39 लाख से अधिक वोट से हराया। अजय को 535610 और बुलो मंडल को 295314 वोट मिले हैं।

मोदी लहर में भी नहीं खिला था कमल

2014 में मोदी लहर के बाद भी भागलपुर में कमल नहीं खिला था। 2014 के चुनाव में अटल सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री रहे शाहनवाज हुसैन 9 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे। राजद के शैलेष कुमार इन्हें हराकर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। शाहनवाज इस सीट से दो बार सांसद चुने गए। 2006 में सुशील कुमार मोदी के इस्तीफे के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा ने शाहनवाज को टिकट दिया और वे जीतकर लोकसभा पहुंचे। वे 2009 में भी इस सीट से सांसद चुने गए थे।

2019 के चुनाव के लिए भागलपुर में 54.66 फीसदी वोट पड़े, जबकि 2014 में यह 57.84 था

2014 में मोदी लहर के बाद भी यहां कमल नहीं खिला, शाहनवाज हुसैन 9 हजार वोटों से हार गए थे

संवेदनशील है यह सीट

सांप्रदायिक रूप से यह सीट संवेदनशील है। 1989 में हुए दंगे की ताप को लोग आज भी महसूस करते हैं। 24 अक्टूबर 1989 में मंदिर के लिए पत्थर इकट्ठा कर रहे एक जुलूस पर बम फेंका गया था। इसके बाद भागलपुर शहर और आस-पास के इलाकों में दंगा भड़क गया था। दंगे की वजह से 50 हजार से ज्यादा लोग बेघर हुए थे। यहां 1946 और 1966 में भी दंगे भड़क उठे थे।

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इमरजेंसी के पहले था कांग्रेस का दबदबा

1952 के लोकसभा चुनाव में भागलपुर सीट, पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में आती थी। 1975 में लगी इमरजेंसी से पहले इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा था। 1957, 1962, 1967 और 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। लेकिन, इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में समीकरण बदल गए। भारतीय लोक दल के उम्मीदवार डॉ. रामजी सिंह ने कांग्रेस के भागवत झा आजाद को हराया था। इमरजेंसी के बाद कांग्रेस इस सीट पर सिर्फ 2 बार जीत सकी।

5 बार सांसद रहे भागवत झा

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री भागवत झा आजाद भागलपुर सीट से 5 बार सांसद चुने गए। 1977 और 1989 में हुए चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। आजाद ने कृषि, शिक्षा, श्रम- रोजगार, आपूर्ति और पुनर्वास, नागरिक उड्डयन और खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्रालयों में राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया। वे 14 फरवरी 1988 से 10 मार्च 1989 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे।