नवगछिया, नारायणपुर के नागर उच्च विद्यालय पहाड़पुर में रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुनावी सभा थी। वैसे तो वे मंच से सभी वर्गो के विकास की बात कर रहे थे, पर उनका मुख्य संदेश पूरे बिहार की महिलाओं के लिए था। उनके शब्द थे, मैंने विकास के साथ-साथ समाज सुधार का भी काम किया।

शराबबंदी, दहेजप्रथा और बाल विवाह बंद कराकर महिलाओं और बेटियों का आत्मसम्मान बढ़ाया। 2005 से पहले आधी आबादी की क्या हालत थी। घरों से नहीं निकल पाती थीं। बेटियां स्कूल नहीं जा पाती थीं। बेटी पैदा करने से लोग डरते थे। सरकारी सेवा और जनप्रतिनिधि में आधी आबादी की भागीदारी नहीं थी। सीएम ने किसी का नाम तो नहीं लिया पर जो संदेश महिलाओं को देना था वह दे दिया। बोले, अब पुलिस बल हो या सरकारी सेवक या फिर जनप्रतिनिधि, हर तरफ महिलाएं पुरुषों की बराबरी में दिख रही हैं। यह बदलाव पंचायत चुनाव और सरकारी सेवा में महिलाओं को आरक्षण देने से आया। अब हर दिन लाख की संख्या में आधी आबादी घरों से निकल कर सुरक्षा और क्षेत्र के विकास की कमान संभाल रही हैं।

सीएम ने उज्जवला और आयुष्मान योजना का जिक्र किया। पहले गरीब महिलाओं को गोईठा-लकड़ी पर धुंआ के बीच खाना बनाना पड़ता था। बड़े अस्पतालों में उनका या उनके बच्चों का इलाज नहीं होता पाता था। अब घर-घर मुफ्त गैस कनेक्शन और जरूरत पड़ने पर इलाज के लिए हर साल पांच लाख रुपये की मदद मिलने लगी। दस लाख स्वयं सहायता समूह का गठन किया, जिससे एक करोड़ महिलाएं जुड़कर अपनी आमदनी बढ़ा रही हैं।

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कानून राज का संकल्प दुहराकर महिलाओं व लड़कियों को चैन और सुकून भरी जिंदगी देने का एहसास कराया। इसके बाद साइकिल और पोशाक योजना का उल्लेख किया। गांव-गांव की बेटियां स्कूल जाने लगीं। बेटी पैदा होने पर दो हजार, आधार से जोड़ने पर एक हजार, मैटिक पास होने पर दस हजार, स्नातक पास होने पर पच्चीस हजार यानी कुल 54 हजार प्रोत्साहन राशि मिलती है। अब बेटी जनने पर भी घरों में खुशियां मनती हैं। इसी तरह जीविका दीदी की दक्षता पर गर्व कर आधी आबादी से जुड़ाव बढ़ाते गए।