जाने-माने उपन्यासकार और लगभग आधा दर्जन फिल्मों के स्क्रिप्ट राइटर वेद प्रकाश शर्मा का शुक्रवार रात निधन हो गया. शर्मा करीबन एक साल से बीमार थे. मेरठ से मुंबई तक इलाज चला, लेकिन शुक्रवार रात उन्होंने अलविदा कह दिया.

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कहते हैं कि 1993 में वर्दी वाला गुंडा की पहले ही दिन देशभर में 15 लाख कॉपी बिक गई थीं. मेरठ शहर के सभी बुक स्टॉल से नॉवेल घंटों में गायब थीं. प्री-ऑर्डर और अडवांस बुकिंग वाले आज के ‘बेस्टसेलर’ जमाने से पहले लोग पहले उनके नॉवेल अडवांस में बुक कराते थे.
‘वर्दी वाला गुंडा` उपन्यास से शोहरत की बुलंदी छू चुके वेद प्रकाश शर्मा का यूं चला जाना हर किसी को रुला गया. वैसे वो पिछले एक साल से बीमार थे, लेकिन शुक्रवार रात उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. लुगदी साहित्य को लोकप्रियता के चरम तक पंहुचाने का का श्रेय वेद प्रकाश शर्मा को ही जाता है. साठ, सत्तर और अस्सी के दशक लुगदी साहित्य के लिहाज से स्वर्णिम काल माने जाते हैं. यही वह वक्त था जब ओम प्रकाश शर्मा, वेद प्रकाश कम्बोज, कुशवाहा कान्त, वेद प्रकाश शर्मा, सुरेन्द्र मोहन पाठक जैसे नए लेखकों की एक पूरी फौज ने लुगदी साहित्य के बाजार पर धावा बोला.