नवगछिया : .माता रानी यहाँ सन 1684 ईस्वी में स्थापित की गयी थी। तब से ही दुर्गा माता की पूजा हर नवरात्री में विधि विधान से की जाती है। इस मंदिर को शक्तिपीठ श्री दुर्गा महारानी के नाम से जाना जाता है। यहाँ तंत्र मंत्र के साथ बांग्ला विधि से भी पूजा की जाती है। पहली पूजा को कलश स्थापना गाजे बाजे के साथ की जाती है।

यहाँ एक ही मेढ़ पर माँ दुर्गा और उनके बगल में माँ सरस्वती,माँ लक्ष्मी,गौरी पुत्र गणेश और कार्तिक जी और उनके ऊपर श्री राधा कृष्णा,शिव शंकर जी को स्थापित किया जाता है.. सपत्मी पूजा की रात्रि में विधि विधान के साथ तंत्र मंत्र से पूजा कर माता का पट खुलता है… पट के खुलते ही बिहार के कई जिले और गांव से लोगों की भीड़ उमर जाती है… और नवमी को विधि विधान से पाठा की बलि चढ़ाई जाती है। अंततः दसवीं के दिन भव्य तरीके से बगल के तालाब में देवी माँ की प्रतिमा को विसर्जित की जाती है.. यहाँ की पूजा विधि पुरे बिहार में प्रसिद्ध है।

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यहाँ बहुत ही शांति तरीके से मेले लगते हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी अभिमन्यु गोस्वामी और पंडित शशिकांत झा जी को बनाया गया है। बताया जाता है की जो भी यहाँ दुर्गा माँ से सच्चे मन से पूजा अर्चना कर मन्नत मांगता है,वो कभी खाली हाथ नहीं लौटता। माता की शक्ति हर जगह प्रसिद्ध है। बताया जाता है की इस गांव के युवा पे माँ का आशीर्वाद बना रहता है ,इसलिए इस क्षेत्र के कई युवा हमारे देश की सुरक्षा में लगे हुए हैं। माता के आशीर्वाद से यहाँ के मशहूर संगीतकार हिमांशु मिश्र दीपक जी को भजन सम्राट की उपाधि मिली। जय भ्रमरपुर वाली दुर्गा महारानी।