नवगछिया : मांगी ले वरदान, मांगी ले वरदान मां शरण में जाके…कजरा जे पारि-पारि लिखल कोहबर, लिखी लेल चारू भीत गे माई…,नदिया के तीरे-तीरे माली फुलवरिया…आदि सुहाग व कोहबर गीतों से नवविवाहिताओं का घर गुंजायमान रहा। मौका था गुरुवार से 13 दिनों तक चलने वाले मधुश्रावणी व्रत का। यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए कृष्ण पक्ष की पंचमी से शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी 14 अगस्त तक चलेगी।
शहर के उत्तर क्षेत्र स्थित तेतरी में नवविवाहिता राधा कुमारी ने बताया कि वह पहली बार व्रत कर रही हैं। इस दौरान आकर्षक ढंग से कोहबर लिखा गया था जिस पर नवविवाहिता और उसके पति का नाम भी था। व्रत में शिव-पार्वती, नाग-नागिन, गणेश सहित अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति बनाकर तेरह दिनों तक की पूजा-अर्चना करती हैं। इस व्रत में नमक का सेवन नहीं किया जाता है। नवविवाहिताओं ने ससुराल से भेजे गए पूजन सामग्री, वस्त्र, शृंगार सहित अन्य सुहाग की सामग्री के साथ पूजन किया।
व्रतियों के घर गूंजने लगे पारंपरिक लोकगीत गीत : इस बार 13 दिनों तक चलने वाले मधुश्रावणी व्रत के दौरान नवविवाहिताएं दिन में फलाहार व शाम में ससुराल से आए अरवा भोजन करती हैं। शाम ढलते ही सोलहों शृंगार कर सहेलियों के साथ फूल, बिल्वपत्र तोड़ती हैं। शाम में पूजन के दौरान पारंपरिक लोकगीत, शिव-पार्वती, विषहरी के भक्ति गीत गाती है।