रंगरा ओपी के भवानीपुर में चिकित्सक की कार से ठोकर लगने के बाद टेम्पो चालक की मौत मामले में चिकित्सक को बिना जमानत के छोड़े जाने से पुलिस के प्रति लोगों में गुस्सा है। मामले को लेकर एसपी निधि रानी ने थानाध्यक्ष कौशल कुमार सहित सअनि उपेंद्र मुखिया और मदन यादव से स्पष्टीकरण पूछा है। एसपी ने कहा कि चिकित्सक को नवगछिया मॉडल थाना में रखा गया था।

वहां के दो वरीय पुलिस पदाधिकारियों के मिस अंडरस्टैंडिंग के कारण बिना बेल कराए ही चिकित्सक को छोड़ दिया गया। इस कारण थानाध्यक्ष सहित दोनों पदाधिकारियों से जवाब मांगा गया है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर दोनों पदाधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। मालूम हो कि शनिवार शाम को भवानीपुर के पास कार की ठोकर लगने से टेम्पों चालक की मौत हो गई थी। साथ ही इस हादसे में छह लोग घायल हो गए थे।

नियम-कानून ताक पर

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नियम के मुताबिक, जिस गाड़ी से दुर्घटना होती है, उसके पकड़े जाने पर गाड़ी के आरोपी चालक को जेल भेजा जाता है। शनिवार को जिस कार के धक्के से टेम्पो चालक अरुण साह की मौत हुई थी और कई यात्री घायल हुए थे, उस गाड़ी के चालक को ग्रामीणों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था। उसके बाद आरोपी को नवगछिया थाने में कुर्सी पर बिठाकर चाय पिलाई और फिर छोड़ दिया।

मृतक के परिजनों ने जब चिकित्सक का नाम प्राथमिकी में देने की बात कही तो कहा गया कि प्राथमिकी में चालक आरोपी बनता है। चिकित्सक के रुतवे से प्रभावित होकर नियम कानून को ताक पर रखकर बिना जमानत के ही उसे छोड़ दिया गया। जबकि दुर्घटना के बाद भीड़ द्वारा पकड़ कर पुलिस को सौंपने पर थाना द्वारा विधि-व्यवस्था की बात बताते हुए आरोपी को जेल भेजा जाता है या थाना से जमानत दी जाती है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।