आश्विन माह कि कृष्ण अष्टमी के दिन प्रदोषकाल में महिलाएं जीमूतवाहन की पूजा करती है, जो महिलाएं प्रदोषकाल में जीमूतवाहन की पूजा करती है, और पूरा भक्ति भाव रखती है, इससे उनके पुत्र को लम्बी उम्र, व् सभी सुखो की प्राप्ति होती है, इस व्रत को स्त्रियां करती है प्रदोष काल में व्रती जीमूतवाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा की धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करती है, और उससे पूजा-अर्चना करती है, इसके साथ मिट्टी तथा गाय के गोबर से चील व सियारिन की प्रतिमा बनाई जाती है

प्रतिमा बनने के बाद इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाते है, पूजा के समय व्रत महत्व की कथा का श्रवण किया जाता है. पुत्र की दीर्घायु, आरोग्य तथा कल्याण की कामना से स्त्रियां इस व्रत का अनुष्ठान करती है, जो महिलाएं पुरे विधि-विधान से निष्ठापूर्वक कथा श्रवण कर ब्राह्माण को दान-दक्षिणा देती है, उन्हें पुत्रों का सुख व उनकी समृद्धि प्राप्त होती है।

इसके बारे में एक कथा भी प्रचिलित है कहा जाता है की एक बार एक जंगले में चील और लोमड़ी घूम रहे थे, वहीं कुछ मनुष्य जाती के लोग इस व्रत की कथा के बारे में बाते कर रहे थे, और जिसे चील ने बहुत ध्यान से सुना, परन्तु लोमड़ी का उस और ध्यान बहुत कम था, और इस व्रत को चील ने बहुत ही श्रद्धा से रखा जिसके कारण उसकी संताने बिलकुल ठीक रही उन्हें कुछ भी नहीं हुआ लेकिन वहीँ लोमड़ी की एक भी संतान जीवित नहीं बची।

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यह व्रत 2017 में 12 सितम्बर दिन मंगलवार से वीरवार 14 सितम्बर को है, और इसका समय अष्टमी तिथि: 13 सितम्बर 01:00 से 14 सितम्बर 22:47 तक है।

व्रत का पहला दिन:-

जीवित्पुत्रिका के पहले दिन के व्रत को नहाई खाई कहा जाता है, इस दिन महिलाएं सुबह उठकर पूजा पाठ करती है, और एक बार भोजन करती है, उसके बाद महिलाएं दिन भर के लिए कुछ भी नहीं खाती है।

व्रत का दूसरा दिन:-

व्रत के दूसरे दिन को खुर जितिया भी कहा जाता है, यह दिन सबसे विशेष होता है, इस दिन महिलाएं पानी भी नहीं पीती है।

व्रत का तीसरा दिन :-

यह व्रत का आखिरी दिन होता है, इसे पारण कहा जाता है, इस दिन बहुत सी चीजों का सेवन करते है, परन्तु इस दिन खासकर झोर भात, नोनी का साग, मड़ुआ की रोटी और मरुवा का रोटी सबसे पहले भोजन के रूप में ली जाती है।

जितिया व्रत नियम:-

  • इस व्रत को करने से पहले आप केवल सूर्योदय से पहले की कुछ खा पी सकते है, उसके बाद आपको खाने पीने की सख्त मनाही होती है।
  • और यह भी याद रखे की आप जो भी खा रहे हो वह केवल मीठा हो तीखा भोजन भी आप नहीं कर सकते है।
  • इस व्रत को करने पर आप दिन के साथ रात भर के लिए भी कुछ खा पी नहीं सकते है, क्योंकि यह व्रत अगले दिन पारण के बाद खत्म होता है।