लगन के समय में भले ही आपके घर शादी के निमंत्रण की लाइन लगी रहती हो मगर सरकारी दस्तावेजों में साल भर में एक हजार शादियां भी नहीं हो रहीं। पिछले 10 सालों में पटना जिले में महज 6265 जोड़ों ने शादी का निबंधन कराया है। इसी दरम्यान 6404 जोड़ों ने कोर्ट मैरिज किया है।

बिहार विवाह निबंधन अधिनियम 2006 लागू होने के बाद शादी का निबंधन कराना अनिवार्य है, मगर ऐसा होता नहीं दिख रहा। लग्न, मुहूर्त, गोत्र और गुण मिलान कर पंडित जी ने जो सात फेरे लगवाए अब उसका निबंधन बिना कानूनी मान्यता नहीं मिलेगी। फैमिली पेंशन, बीमा और उत्तराधिकारी के दावे के लिए मैरिज सर्टिफिकेट की दरकार पड़ रही है।

केस 1

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मंदिर में शादी, छूटा विदेश ऑफर

मंदिर में शादी की थी इसलिए बैजू को विदेश का ऑफर छूट गया। गांव के स्कूल का मेधावी था तो शहर में नौकरी मिल गई। तरक्की के रास्ते में एक दिन विदेश में जॉब का आफर आया तो पासपोर्ट बनाने पहुंचा। पासपोर्ट तो 24 घंटे में बनाने का आश्वासन मिला लेकिन विवाहित होने का प्रमाण देना था। मैरेज कोर्ट पहुंचा तो 30 दिनों का इंतजार में विदेशी ऑफर हाथ से निकल गया।

केस 2

पिता की संपत्ति पाने में आई मुश्किल

सरकारी सेवा से अवकाश ग्रहण के बाद शर्मा जी का देहांत हो गया। सदमे में पत्नी बीमार हो गई। इकलौती बेटी के उपर परिवार का बोझ पड़ा तो संपत्ति का टाइटिल अपने नाम कराने के पहली जरूरत मां-पिता जी के मैरेज सर्टिफिकेट की पड़ी। बैंक का खाता, बीमा, जमीन, मकान, गाड़ी सबकुछ शर्मा जी छोड़कर गए लेकिन विवाह निबंधन प्रमाण पत्र नहीं।

केस 3

30 दिन की छुट्टी कैसे मिले

सिन्हा जी का बेटा सेना का अधिकारी बन गया तो बीते दिनों भी हो गई। अब ड्यूटी ज्वाइन करने के पहले मैरिज सर्टिफिकेट देना है। मैरिज कोर्ट में आवेदन किया तो 30 दिनों तक आपत्ति आने के इंतजार की प्रक्रिया बताई गई। बेचारा कहां से लाए 30 दिनों की छुट्टी।

30 दिनों तक करना पड़ रहा इंतजार

छज्जूबाग स्थित निबंधन कार्यालय में अवर निबंधक के यहां आप शादी के निबंधन का आवेदन कर सकते हैं। फिलाहल सर्टिफिकेट के लिए 30 दिनों का इंतजार करना पड़ रहा है। यदि हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत रजिस्ट्रार की नियुक्ति होती तो लंबी अवधि का झंझट नहीं होता।

पटना में अवर निबंधक को ही कोर्ट मैरिज और विवाह निबंधन के लिए प्राधिकृत कर दिया है। इसके कारण आवेदन करने के 30 दिनों के बाद तीन गवाहों के साथ उपस्थित होने के बाद ही प्रमाण पत्र देने की व्यवस्था चली आ रही है।

क्यों जरूरी है विवाह निबंधन

हाल के वर्षों में पेंशन और संपत्ति के लिए एक से अधिक महिलाओं की दावेदारी से परेशानी को देखते हुए बिहार विवाह निबंधन अधिनियम 2006 लागू किया गया है। अब नीति आयोग ने भी मैरिज रजिस्ट्रेशन प्रमाण अनिवार्य कर दिया है।

तर्क है कि जिस महिला के साथ वाली तस्वीर पासपोर्ट, वीजा, पेंशन, बैंक खाता, सर्विस बुक या संपत्ति के उत्तराधिकारी के लिए दी गई है, वह पत्नी ही है, इसे प्रमाणित करना मुश्किल होता है। विवाह निबंधन होने से पहचान आसान होती है।

विवाह निबंधन की शर्तें

विवाह निबंधन के लिए पति-पत्नी को साझा तस्वीर के साथ आवेदन करना है। ऑनलाइन सिस्टम कामयाब नहीं इसलिए फार्म भर कर जमा करना होगा। 30 दिनों तक आपत्ति के लिए नोटिस बोर्ड पर फोटो और आवेदन सार्वजनिक किया जाएगा। आपत्ति अवधि के बाद तीन गवाहों के साथ अवर निबंधक के समक्ष शपथ लेने के बाद प्रमाण पत्र जारी करने का विधान है।

6265 शादियों का निबंधन हुआ 10 साल में

6404 कोर्ट मैरिज हुई 2006 से अब तक

30 दिनों के बाद मिलता है मैरिज सर्टिफिकेट