आईजीआईएमएस में मरीजों का पंजीकरण आधारकार्ड से होगा। इस संबंध में चिकित्सा अधीक्षक ने आदेश जारी कर दिया है। पंजीकरण काउंटर पर इस बाबत नोटिस बोर्ड लगाया गया है। यह व्यवस्था अस्पताल में तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई है। हालांकि 15 दिनों के लिए वैसे मरीजों को रियायत दी गई है जिनके पास आधारकार्ड नहीं है। वैसे मरीजों का पंजीकरण किसी भी प्रकार के पहचान पत्र से किया जा रहा है।

चिकित्सा अधीक्षक डा पीके सिन्हा का कहना है कि आने वाले दिनों में पहचानपत्र के तौर पर सिर्फ आधारकार्ड से ही पंजीकरण किया जाएगा। काउंटर पर आने वाले मरीज या उनके परिजनों को अभी से ही जानकारी दी जा रही है। 15 दिनों बाद मरीज या उनके परिजनों को आधारकार्ड से ही पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण कराते समय आधार कार्ड की छायाप्रति देनी होगी। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि  हाल के महीनों में पंजीकरण के पर्चा में नाम, पता और उम्र को लेकर काफी गड़बडी आई। इस गडबडी के कारण मृत मरीजों के परिजनों को बीमा या मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने में काफी परेशानी हुई।

एडमिसन लेना है तो आधार कार्ड के

कई मरीजों के परिजनों और अस्पताल के कर्मचारियों के बीच इसे लेकर नोंकनोंक भी हुई। शपथपत्र देने के बाद पंजीकरण में नाम, पता और उम्र में सुधार तो किया गया लेकिन अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि इसकी आड़ में भविष्य में फर्जीवाड़ा होने की आशंका है। इसीलिए पंजीकरण के समय आधारकार्ड की छायाप्रति जरूरी कर दी गई है।

Whatsapp group Join

सात काउंटरों पर होता है पंजीकरण 

आईजीआईएमएस ओपीडी में सात काउंटरों पर पंजीकरण किया जाता है। इन सभी काउंटरों पर पंजीकरण के समय मरीजों से आधार नंबर लिया जाएगा और उसे लिंक किया जाएगा। आधार की छायाप्रति भी ली जाएगी। अस्पताल में प्रतिदिन 12 सौ से 16 सौ मरीज आते हैं।

मेडिकल रिकॉर्ड सुरक्षित रहेगा

आईजीआईएमएस में नई व्यवस्था से मरीजों का मेडिकल रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जा सकेगा। पहले से भी मरीजों का रिकॉर्ड रखा जाता था। लेकिन अब गड़बड़ी की आशंका नहीं रहेगी। जिस व्यक्ति के नाम से पंजीकरण होगा, आधार नंबर डालते ही उसका सारा डिटेल्स सामने आ जाएगा।

आईजीआईएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डा पीके सिन्हा ने बताया कि यह संस्थान सूबे का पहला अस्पताल है जहां मरीजों के आधार को लिंक किया जा रहा है। इस नई व्यवस्था से इलाज बेहतर किया जा सकेगा। ऑनलाइन रिकॉर्ड रहने से जब भी मरीज दोबारा उपचार के लिए आएगा, यह पता चल जाएगा कि कौन-कौन सी जांच की गई थी। किस डॉक्टर के यूनिट में थे, दवाइयां क्या चलीं थीं। वहीं किसी मरीज की मौत होती है तो उसका सारा डिटेल्स सामने होगा।