नौ साल बाद एक बार फिर साल के सबसे बड़े दिन यानी 21 जून को सूर्यग्रहण लगने जा रहा है। इस सूर्यग्रहण की खास बात इस दिन रविवार होना है। शास्त्रों के मतानुसार रविवार का दिन भगवान सूर्यदेव को ही समर्पित होता है। इन विविध संयोगों के बीच कोरोना काल में 21 जून को यह सूर्यग्रहण लगेगा। यह भी एक विचित्र संयोग है कि जून महीने में दूसरी बार ग्रहण पड़ेगा। इसी महीने की 5 तारीख को चन्द्रग्रहण लग चुका है, इसलिए इस सूर्यग्रहण की घटना को दुर्लभ खगोलीय घटना माना जा रहा है। साल के सबसे बड़े दिन 21 जून को पड़ने वाले सूर्यग्रहण के बारे में पंडित जेपी तिवारी आचार्य ने बताया कि इस बार का सूर्यग्रहण कंगन की तरह दिखाई देगा। इसलिए इसे कंगन सूर्यग्रहण कहा जायेगा। आइए हम जानते हैं कि रविवार को पड़ने वाला यह सूर्यग्रहण ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कितना खतरनाक है और इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।

पंडित जयप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि यह सूर्यग्रहण कोरोना काल में लग रहा है, इसलिए यह मानव जीवन के कल्याणकारी नहीं, बल्कि विनाशकारी सिद्ध होगा। यह कई प्रकार की दैवीय आपदा आने का संकेत दे रहा है। दुनिया में बहुत सारा उथल-पुथल रहेगा।

ग्रहण के 12 घण्टे पहले लगेगा सूतक

पंडित जयप्रकाश तिवारी बताते हैं कि किसी भी ग्रहण के 12 घण्टे पहले से ही सूतक काल शुरू हो जाता है। इसलिए आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 21 जून को सुबह 9:16 मिनट पर लगने वाले सूर्यग्रहण के पहले ही 20 जून को ही 9 बजकर 16 मिनट से सूतक काल शुरू हो जायेगा।

तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए अच्छा है योग

आचार्य जयप्रकाश तिवारी ने कहा कि तंत्र-मंत्र, जप और योग साधना के लिए इस बार 21 जून को सूर्यग्रहण के समय अच्छा संयोग बन रहा है। चूंकि इस सूर्यग्रहण का सारा योग आद्रा नक्षत्र में है तो यह समय तंत्र, मंत्र, जप, योग और साधना के लिए बहुत ही बलवान समय है। चुरणामनी योग होने से सारी साधनाएं अपने आप सिद्ध होने के योग होंगे। पंडित जय प्रकाश ने बताया कि इस बार सूर्यग्रहण काल में दीक्षा लेना और रुद्राक्ष धारण करना शुभ फलदायक होगा।

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भोजन करने से मिलेगा शारीरिक कष्ट

पंडित त्रिपाठी ने बताया कि सूर्यग्रहण काल में बालक, बूढ़े और मरीजों के अलावा भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ग्रहण काल में भोजन करने से शारीरिक कष्ट होता है और कई प्रकार की हानियां होना संभव है। उन्होंने बताया कि ग्रहण खत्म होने पर मोक्ष काल में स्नान