विक्रमशिला सेतु के समानांतर गंगा पर बनने वाले फाेरलेन पुल का निर्माण एनएचएआई की लापरवाही से अटक गया है। एनएचएआई के अफसराें काे पहले से ही पता था कि यह मालवाहक जहाज का रूट है। इस पुल के नीचे हाेकर भी मालवाहक जहाज गुजरेंगे। इसके बाद भी जब पुल का डिजाइन तैयार किया गया ताे इसमें अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के मानक की अनदेखी की गई। टेंडर की प्रक्रिया पूरी हाेने के बाद अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण से एनओसी मांगा गया ताे उसने इस पर आपत्ति करते हुए राेक लगा दी। प्राधिकरण के मुताबिक मालवाहक जहाज के गुजरने के लिए एनओसी में प्रावधान है कि पुलि के दाे पायाें के बीच की दूरी 100 मीटर और ऊंचाई हाईएस्ट फ्लड लेवल से 10 मीटर हाेगी। लेकिन प्रस्तावित डिजाइन में दाे पायाें की दूरी केवल 50 मीटर ही रखी गई है। एनचएआई की इस लापरवाही का असर यह हाेगा कि निर्माण शुरू हाेने में कम से कम सालभर लग जाएंगे और लागत भी करीब 40 फीसदी बढ़ने का अनुमान है।

  • 4.45 किलाेमीटर लंबा बनेगा पुल
  • 29 मीटर चाैड़ाई हाेगी नए पुल की
  • 9.50 किलाेमीटर का पहुंच पथ हाेगा
  • 120 मीटर का स्पेन बनाया जाना है
  • 68 पायाें का पुल में हाेना है निर्माण
  • 21 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण हुआ
  • 225 रैयताें काे मुआवजा दिया जाएगा
  • 51 एकड़ में 10 एकड़ जमीन सरकारी है
  • 59 करोड़ जमीन अधिग्रहण पर हाेगा खर्च

निर्माण एजेंसी की 30 लाेगाें की टीम अब हाेने लगी है वापस

हालत यह है कि निर्माण एजेंसी एलएंडटी भागलपुर आ गई और अपना प्लांट लगाने की तैयारी कर रही थी। लेकिन अब दाेबारा से डिजाइन बनने से लेकर तमाम प्रक्रिया से गुजरने में सालभर का समय लग जाएगा। इस देरी काे देखते हुए निर्माण एजेंसी की टीम भी वापस हाेने लगी है। शुरू में जहां 30 से अधिक इंजीनियर व तकनीशियनाें की टीम आई थी। अब केवल पांच-छह लाेग ही बचे हैं। निर्माण एजेंसी के इंजीनियराें के मुताबिक अब फिर से दाेबारा डिजाइन तैयार हाेगा और फिर इसके हिसाब से डीपीआर में भी संशाेधित हाेगा। उसकी स्वीकृति हाेने और राशि आवंटित हाेने के बाद ही काम शुरू हाे पाएगा। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा ताे इसमें छह माह से सालभर तक का समय लग सकता है।

एनएचएआई काे पता था कि यह मालवाहक जहाज का रूट है, फिर भी मानक का नहीं रखा ध्यान, बदलना होगा डिजाइन

जून में ही मंत्रालय से एजेंसी का हुआ था एग्रीमेंट

पथ परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की ओर से विक्रमशिला सेतु के समानांतर गंगा पर फाेरलेन पुल बनाने के लिए निर्माण एजेंसी एलएंडटी का चयन किया गया और उसके साथ जून में एग्रीमेंट भी हुआ था। इसके बाद वन विभाग से एनओसी मिला। निर्माण शुरू करने के लिए अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण से एनओसी का इंतजार था। निर्माण एजेंसी ने पत्थर व मिट्टी की जांच भी शुरू कर दी थी। मंत्रालय की ओर से भी दाे अफसराें की प्रतिनियुक्ति कर दी गई थी। कार्यालय खाेलने की भी तैयारी शुरू थी। लेकिन सब काम बंद हाे गया। प्राधिकरण के मुताबिक जब फाेरलेन पुल के निर्माण नया डिजाइन मिलेगा, इसके बाद ही एनओसी देने की दिशा में पहल की जाएगी। इसके लिए मंत्रालय काे पत्र भेजा गया है।

पहले 838, अब 1173 कराेड़ खर्च हाेने का अनुमान

फाेरलेन पुल का निर्माण 838 कराेड़ की लागत से हाेना है। इसके निर्माण के लिए 2025 तक समय सीमा तय की गई थी। लेकिन अब इसमें सालभर देरी से समय सीमा एक साल और आगे बढ़ जाएगी। निर्माण एजेंसी से जुड़े एक इंजीनियर ने बताया कि डिजायन बदलने व काम अटकने से अब पुल निर्माण की लागत भी 40 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। यानी करीब 335 कराेड़ रुपए अधिक खर्च हाेंगे। ऐसे में फाेरलेन पुल के निर्माण पर कुल लागत 1173 कराेड़ रुपए से अधिक हाेने का अनुमान है। बता दें कि पुल की लंबाई 4.45 किलाेमीटर और चाैड़ाई 29 मीटर हाेगी। जबकि इसकी सड़क की लंबाई 9.50 किलाेमीटर हाेगी। इसमें 120 मीटर का स्पेन बनना था। इसके साथ ही 68 पाये और फुटपाथ का भी निर्माण हाेना है।

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जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया हो गई है पूरी

जानकारी के मुताबिक निर्माण एजेंसी काे पुल बनाने के साथ 10 साल तक उसकी देखभाल भी करनी है। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। 21 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। 225 रैयताें काे मुआवजे देने की प्रक्रिया भी पूरी हो गई है। बता दें कि 51 एकड़ में 10 एकड़ जमीन सरकारी है। इसके जमीन अधिग्रहण पर 59 करोड़ रुपये खर्च हाेने हैं। यह राशि भी पहले ही जिला भू-अर्जन विभाग काे उपलब्ध करा दी गई थी।

डिजाइन में हाेगा बदलाव, पायाें के बीच बढ़ेगी दूरी

प्राेजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट के इंचार्ज से बात हुई है। उनके मुताबिक फाेरलेन पुल के डिजायन में बदलाव किया जाना है। जिसमें दाे पायाें के बीच में दूरी बढ़ेगी, ताकि अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण से एनओसी मिल सके। इसके बाद मंत्रालय स्तर पर ही एजेंसी के साथ बातचीत हाेगी। जमीन अधिग्रहण का काम पूरा हाे गया है। इसमें काेई अड़चन नहीं है। – सुब्रत कुमार सेन, डीएम