इस बार 10 साल बाद राेहिणी नक्षत्र में 7 मई मंगलवार को अक्षय तृतीया मनाया जाएगा। इस साल चार ग्रह शुक्र, चंद्रमा, राहु व केतु अपनी उच्च राशि में गोचर करेंगे। इसका मानव जीवन पर बेहतर प्रभाव होगा। कुंडली के हिसाब से ग्रहों के प्रभाव अलग-अलग हो सकते हैं। अक्षय तृतीया पर किए जाने वाला कोई भी मांगलिक कार्य व्यर्थ नहीं जाता।

बूढ़ानाथ मान मंदिर के पंडित रमेश झा ने बताया कि एक दशक के बाद अक्षय तृतीया के दिन चार ग्रहों का विशेष योग बन रहा है जो काफी फायदेमंद है। उन्होंने बताया कि इस दिन सुबह 5 बजकर 3 मिनट से शाम 6 बजकर 5 मिनट तक मांगलिक कार्य के लिए शुभ मुहूर्त हैं।

शिवपुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन जो व्यक्ति शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करता है, उसे कई जन्म के किए हुए मन, वचन और शरीर के महापापों से मुक्ति मिलती है और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों का लाभ मिलता है। भगवान परशुराम का जन्मोत्सव भी अक्षय तृतीया को मनाया जाता है।

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अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीदारी या घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीदारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं। नवीन वस्त्र, आभूषण आदि धारण करने और नई संस्था की स्थापना या उद्घा‌टन का कार्य श्रेष्ठ माना जाता है।