जिन पांच बेटों को मुनेश्वरी देवी ने पैदा किया और उन्हें पाल-पोसकर इस लायक बनाया कि इनमें से चार आज लाखों में खेल रहे हैं। एक नेत्रहीन है। लेकिन अपनी 80 वर्षीय मां को ये बेटे दो वक्त की रोटी और थोड़ी जगह नहीं दे पाए। लिहाजा मुनेश्वरी एक वर्ष से कभी मंदिर तो कभी सड़क किनारे रह कर अपनी जिंदगी की गाड़ी को किसी तरह खींच रही है। मामला तब खुला जब शहर के कुछ जागरूक युवाओं की टोलियों को इसकी जानकारी मिली। इसके बाद युवाओं व वार्ड 21 के पार्षद संजय सिन्हा ने करीब 30 लोगों के हस्ताक्षर से जोगसर थाने को आवेदन देकर सूचना दी। मौके पर डिप्टी मेयर राजेश वर्मा भी पहुंचे। इसके बाद वे उस वृद्धा को लेकर उनके बेटों के घर गए पर उन बेटों ने अपनी ही मां को रखने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यह हमारा पारिवारिक मामला है। इसमें आपलोग न पड़ें।

अभी जीछो स्थित सहारा वृद्धाश्रम में रहेंगी

इसके बाद वर्मा अपनी गाड़ी से लेकर मुरेश्वरी को मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले गए और चेकअप कराया। उसका बीपी और डायबिटीज बढ़ा था। उसके लिए दवा और खाने-पीने का प्रबंध कराया गया। इसके बाद उसे नाथनगर के वृद्धाश्रम में रखने को ले जाया गया। वहां तीन पुरुष ही थे। महिला नहीं होने की वजह से उसे जीछो स्थित सहारा वृद्धाश्रम में भर्ती कराया गया।

आदमपुर ओपी के पास रहने वाली मुनेश्वरी देवी शंकर टॉकीज से बूढ़ानाथ जाने वाले रोड स्थित एसबीआई एटीएम के पास बेसुध पड़ी थी। वह ठंड से ठिठुर रही थी। सोमवार की सुबह करीब सात बजे वृद्धा पर बीइंग भाई फाउंडेशन के अध्यक्ष रोशन भगत, सचिव सिद्धार्थ साह, मानव केजरीवाल, करण शर्मा, भाजपा नेता रोशन सिंह की नजर पड़ी तो उन्होंने रुक कर पूरी कहानी जानी। मुनेश्वरी ने अपनी दु:खभरी कहानी उन्हें बताई।

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