भागलपुर : विक्रमशिला सेतु की हालत सुधरते नहीं दिख रही है। अधिकारी से लेकर ठेकेदार तक लोगों की परेशानी को नजरअंदाज कर अपनी जेब भरने में लगे हैं। दैनिक जागरण के 19 जुलाई के अंक में ‘गड्ढों में समा गए 14 करोड़’ शीर्षक से खबर छपने के बाद पुल निर्माण निगम हरकत में आया। आनन-फानन में गड्ढों को भर दिया गया, लेकिन घंटे भर में ही गिट्टियां उखड़ने लगीं। सड़क पर नुकीले ढक्कन अब तक नहीं बदले गए, न ही खुले मेनहोल बंद किए गए।

आठ महीने पहले 14 करोड़ किए गए थे खर्च : अक्टूबर 2018 में साढ़े चार किलोमीटर लंबे पुल की मरम्मत के लिए 14 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। आठ महीने में ही पुल पर बड़े बड़े गड्ढे बन गए। मास्टिक एसफाल्ट बिछाने के बाद मरम्मत कराने वाली एजेंसी के अभियंता ने छह साल तक सड़क में कुछ भी नहीं होने का दावा किया था। लेकिन छह साल तो दूर छह महीने भी ठीक से नहीं चले।

शुक्रवार को बाल-बाल बचे दो बैंककर्मी : शुक्रवार को एक्सिस बैंक के कर्मी अभिषेक और अमन ने बताया कि बाइक से वे दोनों भागलपुर से नवगछिया की ओर जा रहे थे। सेतु पर ढक्कन नहीं होने के कारण दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बाल बचे। लेकिन अधिकारी इसपर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

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लापरवाही की हद

गड्ढे को भरा गया। बारिश में नमी होने के कारण अलकतरा जम नहीं पाया। इसके कारण गिट्टियां उखड़ गई। अलकतरा को जमने के लिए कम से कम चार घंटे चाहिए। इसलिए बेरिकेडिंग कर फिर मरम्मत कराई जाएगी। जहां ढक्कन नहीं है वहां होल को बंद करने के लिए ढक्कन डाला जाएगा।

जगह-जगह नुकीले ढक्कन हादसे को दे रहे आमंत्रण

नवगछिया की ओर पिछले एक साल से ट्रांसफार्मर खराब रहने के कारण स्ट्रीट लाइट नहीं जलता है। इससे खासकर रात के अंधेरे में पुल पर नुकीले ढक्कन की वजह से आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। पोल संख्या 51 के सामने नुकीले ढक्कन की वजह से सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं। वहीं पोल संख्या चार के सामने ढक्कन ही नहीं है। हाल में गड्ढे में जाने से बचाने के दौरान दो ट्रकों में टक्कर हो गई थी। इससे पूर्व दो वाहनों के टक्कर एक बाइक सवार की मौत हो गई थी। हादसे के बाद कई बार घंटों जाम लग जाता है।