जिले में चल रही बहाली में फर्जीवाड़ा का मामला नहीं रुक रहा है। ताजा मामला पंचायती राज विभाग का है। विभाग में तकनीकी सहायक की बहाली में फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी लेने का मामला सामने आया है। करीब 12 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिन्होंने फर्जी सर्टिफिकेट देकर नौकरी पाने की साजिश रची, लेकिन कागजात के सत्यापन के दौरान जब संबंधित शैक्षणिक संस्थानों से जानकारी ली गई तो यह बात सामने आई कि उनके संस्थान की ओर से ये सारे सर्टिफिकेट जारी नहीं किए गए हैं।

करीब 12 आवेदकों ने डिप्लोमा का फर्जी सर्टिफिकेट जमा करके मेधा सूची में जगह बना लिए। अब जिला प्रशासन इन सारे फर्जी सर्टिफिकेट वाले मेधा सूची में चयनित आवेदकों पर कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। डीएम प्रणव कुमार के मुताबिक फर्जी सर्टिफिकेट देकर नौकरी का आवेदन करना गैर कानूनी है। निश्चित तौर पर इनके खिलाफ ठोस कदम उठाएंगे। जानकारी के मुताबिक संबंधित आवेदकों पर प्राथमिकी भी दर्ज की जा सकती है।

शिक्षण संस्थाओं ने कहा- हमारे यहां नहीं हुआ दाखिला

हालांकि सभी शिक्षण संस्थान से आई रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। बता दें कि तकनीकी सहायक सह जूनियर इंजीनियर और लेखापाल सह आइटी सहायक पर 61-61 अभ्यर्थी का चयन होना है। आए आवेदन में चयनित सूची पर दावा-आपत्ति का निपटारा मंगवा गया। लेखापाल पद पर 39 और तकनीकी सहायक के लिए 20 आपत्ति आई। अंतिम रूप से बनी सूची को जिला चयन समिति ने अनुमोदन कर दिया। विभाग ने दो तरह की सूची बनाई। दोनों पद पर दो तरह की सूची बनी थी। एक मुख्य सूची और दूसरी प्रतीक्षा सूची में 61-61 अभ्यर्थी का नाम है।

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तकनीकी सहायक पद पर चयनित 61 में से 12 आवेदक की संबंधित शिक्षण संस्थान से फर्जी होने की रिपोर्ट आई। इन 12 की रिपोर्ट में सर्टिफिकेट जारी करनेवाले शिक्षण संस्थान ने लिखा है कि आवेदक का उनके यहां दाखिला ही कभी नहीं हुआ था। जबकि कुछ संस्थानों के मुताबिक आवेदक का सर्टिफिकेट उनके संस्थान के किसी और पास हुए छात्र के सर्टिफिकेट से छेड़छाड़ करके बनाया गया है। अभी भी 13 आवेदक के सर्टिफिकेट की जांच रिपोर्ट आनी बाकी है।