मुंगेर: जिले की तीन विधानसभा सीटों पर इस बार समीकरण बदला-बदला दिख रहा है. वर्तमान में दो सीटों तारापुर व जमालपुर पर जदयू का कब्जा है, जबकि मुंगेर सीट राजद के कब्जे में है. 2015 विधानसभा चुनाव में जहां राजनीतिक समीकरण अलग थे और जदयू और राजद ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. वहीं, इस बार भाजपा-जदयू-लोजपा एनडीए के अंग हैं. बदले राजनीतिक परिदृश्य के कारण 2020 चुनाव को लेकर टिकट के दावेदारों की संख्या भी बढ़ गयी है.

मुंगेर विधानसभा सीट

मुंगेर विधानसभा सीट पर भाजपा एवं जदयू दोनों की नजर है. भाजपा जहां लगातार इस सीट पर चुनाव लड़ती आ रही है और गत विधानसभा चुनाव में भी पार्टी काफी कम मतों से चुनाव हार गयी थी. वहीं इस बार पुनः भाजपा मुंगेर सीट पर अपनी मजबूत दावेदारी रख रही है. वर्तमान में यह सीट राजद के कब्जे में है, इसलिए जदयू सीधे तौर पर दावेदारी पेश नहीं कर पा रही. मुंगेर भाजपा में टिकट के दावेदारों की संख्या आधे दर्जन से अधिक है. मुंगेर विधानसभा सीट पर जदयू भी अपनी दावेदारी पेश कर रही है. पार्टी नेताओं का मानना है कि दावेदारी के लिए राज्य के कद्दावर नेता व मुंगेर के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की ओर से पहल की जा रही. 2010 में मुंगेर से जदयू के टिकट पर अनंत सत्यार्थी जीते भी थे. उससे पूर्व भी 2005 में डाॅ मोनाजिर हसन जदयू के टिकट पर यहां से विधायक बने थे. इधर इस सीट पर वर्तमान में राजद विधायक विजय कुमार विजय का कब्जा है.

जमालपुर विधानसभा सीट

मुंगेर जिले में सबसे महत्वपूर्ण सीट जमालपुर बन गया है. 2005 से ही इस सीट पर जनता दल यू के शैलेश कुमार का कब्जा है. वे वर्तमान में बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य मंत्री हैं. जनता दल यू से उनकी दावेदारी पक्की है. दूसरी ओर राजद के आधे दर्जन नेता ताल ठोक रहे हैं. 2005 तक जमालपुर पर राजद का कब्जा था और यहां से लगातार 25 वर्षों तक कद्दावर नेता तथा राज्य सरकार में कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे उपेंद्र प्रसाद वर्मा चुनाव जीतते रहे थे. इस बार भी वे चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर रखी थी, किंतु अचानक ही उनका निधन हो गया. अब इस सीट पर राजद से उनके पुत्र जय कुमार वर्मा अपनी दावेदारी कर रहे. वे लगातार क्षेत्र भ्रमण कर रहे हैं. वहीं, जमालपुर सीट से चुनाव लड़ने के लिए मुंगेर युवा भाजपा के मजबूत चेहरे रहे वीर विक्रम सिंह ने पार्टी को अलविदा कह राजद का दामन थाम लिया है और जमालपुर से चुनाव लड़ना चाह रहे हैं. इसके अलावा राजद में टिकट के दावेदारों की लंबी कतार है. जमालपुर विधानसभा सीट पर 2015 के चुनाव में दूसरे स्थान पर लोजपा के हिमांशु कुमार थे, लेकिन इस बार लोजपा एनडीए में शामिल हैं. इसलिए राजनीतिक परिस्थितियां भी पूरी तरह बदली हुई हैं.

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तारापुर विधानसभा सीट पर पिछले 35 वर्षों से दो परिवार का कब्जा

तारापुर विधानसभा सीट पर पिछले 35 वर्षों से दो परिवार का कब्जा है. 1985 से लेकर 2010 तक जहां इस सीट पर शकुनी चौधरी व उनकी पत्नी पार्वती देवी विधायक रहे. वहीं ,2010 से अब तक नीता चौधरी एवं उनके पति डॉ मेवालाल चौधरी का कब्जा रहा है. वर्तमान में इस सीट पर जनता दल यू के मेवालाल चौधरी विधायक हैं. इससे पूर्व 2010 में इनकी पत्नी नीता चौधरी ने राज्य के पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी को पराजित कर चुनाव जीता था. 2020 के विधानसभा चुनाव में भी पुन: ये दोनों परिवार मुकाबले को तैयार हैं.

डॉ मेवालाल चौधरी इस बार पुन: चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति रहे डॉ मेवालाल चौधरी ने इस बार पुन: चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर रखी है. उनकी पत्नी नीता चौधरी अब इस दुनिया में नहीं हैं. इस परिस्थिति में वे किस प्रकार जदयू से अपना टिकट सुरक्षित रख पाते हैं, यह तो समय ही बतायेगा. बनते-बिगड़ते समीकरण में वर्तमान में हम पार्टी के नेता शकुनी चौधरी के पुत्र रोहित चौधरी भी चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. उनके भाई सम्राट चौधरी हाल ही में भाजपा के कोटे से विधान पाषद चुने गये हैं. इस सीट पर महागठबंधन के दो प्रमुख घटक राजद व कांग्रेस के नेता भी ताल ठोंक रहे हैं.

1990 में शकुनी चौधरी इस सीट पर कांग्रेस के अंतिम विधायक बने

1990 में शकुनी चौधरी इस सीट पर कांग्रेस के अंतिम विधायक बने थे. उसके बाद यह सीट कांग्रेस के कब्जे से बाहर रहा है. इस बार पार्टी अपनी मजबूत दावेदारी तारापुर विधानसभा सीट पर कर रही है. कांग्रेस नेता एवं अप्रवासी भारतीय राजेश कुमार मिश्रा पिछले तीन वर्षों से तारापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए लगातार क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, जबकि महागठबंधन में राजद के नेता भी इस सीट पर चुनाव लड़ने की जुगाड़ में हैं.

input:Prabhatkhabar