नवगछिया : अनुमंडल के रंगरा प्रखंड स्थित भवानीपुर पंचायत के पुरानी बुढ़िया काली मंदिर के प्रांगण में नौ दिवसीय श्री श्री 108 श्री शतचंडी महायज्ञ एवं श्री मद् देवी भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के अंतिम दिन श्रद्धालुओ की आपार भीड उमड़ पड़ी । कथा के अंतिम दिन संगीतमय कथा व्यास परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने श्रोताओ को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि  समय का सदुपयोग ही जीवन जीने की कला है, समय से मूल्यवान कुछ भी नहीं है।

बीता हुआ समय वापस नहीं सकता है इसलिए समय का सम्मान करते हुए कार्य करना चाहिए। जीवन में मनुष्य को प्रभु की भक्ति में अपना ध्यान लगाना चाहिए। इससे ही मनुष्य के जीवन में कल्याण संभव है। मनुष्य को अपने जीवन को प्रभु की भक्ति में लगाना चाहिए। गंगा, गया, काशी, नैमिषारण्य, मथुरा, पुष्कर और बदरीवन आदि तीर्थों की यात्रा से भी वह फल प्राप्त नहीं होता है। जो नवाह्र पारायण रूप देवी भागवत श्रवण यज्ञ से प्राप्त होता है। श्रीमद़ देवी भागवत में आदिशक्ति मां जगदंबा के कृपामय चरित्रों का सागर है।

मां जगदंबा की महिमा अपरंमपार है। मां सभी के कष्टो का तारनहार है। मां दुर्गा आदिशक्ति  रूप में अवतार लिया था। उनका यह अवतार दानवों के संहार के लिए हुआ था। उन्होंने ऐसे दानवों से पृथ्वी व स्वर्ग को मुक्त कराया, जिनका संहार करना देवताओं के वश में नहीं ब्रह्मा जी के तेज से ब्राह्मी, विष्णु से वैष्णवी, महेश से माहेश्वरी, और अम्बिका से चंडिका प्रकट हुईं। महायज्ञ में लगातार नौ दिनो तक भक्ति की गंगा बहती रही ।

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नामचीन संगीत कलाकार के भक्ति संगीत पर श्रोतागण झूमने पर मजबूर हो गये। कथा के साथ झांकी चित्रण ने श्रोताओ का मनमोह लिया । महायज्ञ कमेटी के सदस्यो ने साधु, संत, एवं दूर दराज से आये हूए भक्तो की सेवा में तत्पर्य दिखे । काली मंदिर में विद्वान पंडितो के द्वारा प्रतिदिन विशेष पूजन किया गया । वैदिक मंत्रोउच्चारण से वातावरण भक्ति मय रहा ।

ईलाके के लोग नौ दिनो तक परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के मुखारबिंद से भगवान नाम का रस पान किया । वही मंगलवार की रात्रि माता महाश्मशानी उग्र दन्त कालिका मंदिर नगरह बैशी में आमावस्या पूजन विद्वान पंडितो के द्वारा किया गया । इस पूजन में अनिमेष सिंह, कुन्दन बाबा, उमेश भगत, दिनेश पंडित, पंकज भारती, पप्पू , अभिषेक समेत काफी संख्या में लोगो ने भाग लिया।