नवगछिया : हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 17 अगस्त को सती बिहुला अपने मायके पहुंच गई है. कोरोना काल, लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के बीच भी बिहुला के स्वागत में नवगछिया के लोग कोई कसर छोड़ने को तैयार नहीं है. इस बार बिहुला के नवगछिया पहुंचने पर कोई धूमधड़ाका तो नहीं हुआ लेकिन लोगों के श्रद्धा और आस्था में कोई कमी नहीं आई है. नवगछिया के दो मंदिरों में और डॉ राणा वाली गली में माता विषहरी की पांच बहनों के साथ बिहुला को ससम्मान के साथ सिंहासन पर बैठाया गया और वैदिक विधि विधान से पूजा की गई.

विधिवत पूजा संपन्न होते ही नवगछिया वासियों ने हरिया पति स्थित मंदिर और डॉ राणा वाली गली में हो रहे पूजन समारोह में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ एक एक कर दर्शन किया और पूजा पाठ भी किया. हर वर्ष भक्ति जागरण का प्रोग्राम हर्षोल्लास के साथ किया जाता था लेकिन इस बार भक्ति जागरण का प्रोग्राम ऑनलाइन किया गया. पूजा स्थलों पर गंगाजल का मिलावट कर सैनिटाइजर तैयार किया गया है जिसे हर एक भक्तों के हाथों में डाल कर पूजा करने की अनुमति दी जा रही है.

मालूम हो कि बिहुला विषहरी लोक साहित्य में बिहुला का मायके नवगछिया के उझानी गांव में बताया गया है. इसी कारण वर्षों से लोगों को ही मान्यता है कि 17 अगस्त को सती बिहुला का नवगछिया आगमन होता है और यहां पर उन्हें उसी तरह सम्मान मिलता है जैसे जब कोई बेटी अपने ससुराल से मायके आती है.

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