ब्रिटेन की जानी-मानी हथियार बनाने वाली कंपनी वेब्ले एंड स्कॉट उत्तर प्रदेश में रिवॉल्वर का उत्पादन करने जा रही है। देश में हथियार निर्माण करने वाली यह पहली विदेशी कंपनी होगी। कंपनी ने इसके लिए लखनऊ की स्याल मैन्युफैक्चरर्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ करार किया है। हरदोई के संडीला में कंपनी अपना प्लांट लगा रही है और नवंबर से उत्पादन शुरू कर देगी। स्याल मैन्युफैक्चरिंग के प्रमुख जोगिंदर पाल सिंह स्याल अाैर निदेशक सुरेंद्र पाल सिंह उर्फ रिंकू ने बताया कि कंपनी पहले चरण में अपनी प्रसिद्ध .32 रिवॉल्वर बनाएगी, जिसकी कीमत करीब 1.6 लाख रुपए होगी। रिवाल्वर पश्चिम बंगाल के ईसानगर में 29 से 30 सितंबर के बीच टेस्टिंग के लिए भेजी जा रही है। टेस्टिंग में हरी झंडी मिलने के बाद नवंबर में वेब्ले भारतीय मार्केट में आ जाएगी। हरदोई प्लांट में ही ‘मेक इन इंडिया’ के तहत वेब्ले के सभी पुर्जे तैयार किए जाएंगे। स्याल पूरे देश में वेबली एंड स्कॉट के उत्पादों का वितरण करेगी।
सेना के लिए ‘मेड इन अमेठी’ तैयार होगी एके-47 की तीसरी पीढ़ी की असाल्ट राइफल एके-203
जल्द ही एके-47 की तीसरी पीढ़ी की असाल्ट राइफल एके-203 उप्र के अमेठी में तैयार होगी। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में रूस सरकार से करार के बाद इंडो-रशियन प्राइवेट लिमिटेड ने अमेठी के मुंशीगंज की आर्डनेंस फैक्टरी में काम शुरू कर दिया है। पहले चरण में 7.47 लाख एके-203 राइफल तैयार की जाएगी। यह प्रोडक्ट पूरी तरह मेक इन इंडिया कार्यक्रम पर आधारित होगा। एके-47 असाल्ट राइफल की तीसरी पीढ़ी का हथियार है। एके-47 की तरह यह राइफल भी एक मिनट में 600 राउंड फायर करेगी लेकिन इसकी मारक क्षमता 350 मीटर के बजाय 500 मीटर होगी।
पिस्टल, एयरगन, शॉटगन और कारतूस भी बनाएगी
वेब्ले एंड स्कॉट कंपनी के को-ऑनर जॉन ब्राइट ने कहा कि इसके बाद हम पिस्टल, एयरगन, शॉटगन और कारतूस भी बनाएंगे। हम आयुध निर्माण कारखानों द्वारा निर्मित हथियारों को कड़ी टक्कर देंगे। उन्होंने कहा कि हमने 2018 में स्याल परिवार के साथ मिलकर व्यवसाय का विस्तार करने का मन बनाया। पहले चरण में 1899 के मार्क .32 पिस्तौल के मूल डिजाइन का उपयोग भारतीय बाजार की मांग को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
input : Bhaskar