देश को आजाद कराने में महात्मा गांधी का बड़ा योगदान है। 15 अगस्त 1947 का वह दिन जिसे आज हर हिंदुस्तानी को याद है। इसी दिन हमारा देश आजाद हुआ था। हालांकि बापू के अहिंसा के पाठ तो लोग भूलते जा रहे हैं, लेकिन उनकी कर्मभूमि के लोगों ने इसे बखूबी अपनाया है।

उस छोटे से गांव का नाम है कटरांव जो कि बिहार के चंपारण के गौनाहा प्रखंड में स्थित है। इस गांव में लगभग दो हजार की आबादी है। इस गांव में आजादी के बाद एक भी मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। बताया जाता है कि इस गांव के लोगों ने आज तक कोर्ट-कचहरी का चक्कर नहीं लगाया है।

गांव के स्तर पर ही सुलझ जाता है विवाद

माना जाता है कि कटरांव में किसी के खिलाफ आजतक मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। गांव में अगर किसी के साथ कोई विवाद होता भी है तो लोग आपस में ही सिलझा लेते हैं। या फिर गांव स्तर पर उस विवाद को सुलझा लिया जाता है। इसका मतलब यह है कि गांव के लोगों ने इपने स्तर से ही विवाद को निपटा लिया है।

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कटरांव के मुखिया कहते हैं कि इस गांव के लोग समझदार हैं। जब भी कोई विवाद होता है तो सबसे पहले यह कोशिश होती है कि वे आपस में ही उस मामले को समझा लें। या फिर इस तरह नहीं हो पाता है तो गांव के स्तर पर उस मामले को समझा लिया जाता है। लोग कोर्ट-कचहरी नहीं जाते हैं।

आदीवास बहूल गांव है कटरांव

गौनाहा प्रखंड स्थित कटरांव आदिवासी बहुल गांव है। यह गांव काफी पिछड़ा हुआ माना जाता है, लेकिन इस गांव के लोगों की सोच उन तमाम आधुनिक और शिक्षित कहे जाने वाले समाज से कहीं आगे है। यह गांव एक मिसाल है क्योंकि यह बापू की धरती है। गांधी के भितिहरवा आश्रम के बगल में यह गांव है।