बिहार के कटिहार में ‘गुंडा बैंक’ फिर शुरू हो गया है। यह न तो रिजर्व बैंक के नियम-कायदों से संचालित होता है और न ही सरकार का कोई कानून इसपर लागू होता है। गरीब जरूरतमंदों को मामूली लिखापढ़ी पर कर्ज देना और अगले दिन से ही वसूली करना इनका काम है।

छोटे दुकानदार व चाय-नाश्ता व पान बेचने वाले इसके सबसे बड़े ग्राहक हैं। एक दशक पूर्व जिले के भोले-भाले गरीब लोगों के गुंडा बैंक के चक्रव्यूह में फंसने के कारण अपहरण, रंगदारी जैसी घटनाएं हुई थीं। पुलिस प्रशासन को ऐसे गुंडा बैंक के संचालकों से मुक्ति दिलाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। पिछले चार माह से फिर उसी तरह के कारनामे सामने आने लगे हैं। जिले के कुरसेला, फलका, डुमर, समेली के अलावा कोढ़ा में ऐसे बैंकों के दलाल सक्रिय हैं।

गरीब इनके झांसे में आ जाते हैं और कर्ज लेकर 10% मासिक ब्याज के साथ प्रतिदिन उसे चुकाने के लिए तैयार हो जाते हैं। दलाल पासबुक भी देते हैं। कुरसेला के संदीप कुमार, गंगा मंडल, अवध चौधरी, बबलू गुप्ता जैसे न जाने कितने लोग इनके चंगुल में फंस चुके हैं। कई पीड़ितों ने बताया कि एक बार में गुंडा बैंक से औसतन 10 हजार रुपये आसानी से मिलते हैं और दूसरे दिन से लगातार 150 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 80 दिनों तक वसूलकर 12 हजार रुपये ले लेते हैं।

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क्या कहते हैं अफसर?
मामले पर कटिहार के एसडीओ नीरज कुमार का कहना है कि अभी तक ऐसे मामले की कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है। बावजूद इसके इसकी पड़ताल कराई जाएगी और इस मामले में दोषी को किसी सूरत में नहीं बख्शा जायेगा।

लीड बैंक प्रबंधक, सीवी गुप्ता ने कहा है कि गुंडा बैंक की जानकारी मुझे नहीं हैं। अगर कहीं से शिकायत मिली तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी। .

सेबी से पंजीकृत होने का दावा
गुंडा बैंक के दलाल ग्राहकों को बताते हैं कि उसकी संस्था सेबी से पंजीकृत है और आरबीआई एक्ट के तहत कार्य करती है। इसके बाद भी वे सादे नन ज्यूडिशियल स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर लेते हैं।