कानून-व्यवस्था बनाने के लिए इंटरनेट सेवा बंद करने के मामले में भारत सबसे आगे है। पाकिस्तान दूसरे नंबर पर है। भारत के अलग-अलग राज्यों में जनवरी 2016 से मई 2018 तक 154 बार इंटरनेट सेवा रोकी गई। वहीं, पाकिस्तान ने ढाई साल में 19 बार डेटा सर्विस पर रोक लगाई। जंग से जूझ रहे सीरिया और इराक ने 8-8 बार इंटरनेट सेवा रोकी।

भारत में इंटरनेट सेवा पर रोक पहली बार 2012 में लगी थी। तब सालभर में सिर्फ नौ घंटे इंटरनेट बंद रहा। इसके बाद 2013 में यह आंकड़ा 360 घंटे तक पहुंच गया। 2014 में 114 घंटे तो 2015 में 905 घंटे ब्लॉकेज रहा। वहीं, 2016 में 6 हजार 784 घंटे और 2017 में 8 हजार 141 घंटे इंटरनेट सेवा रोकी गई।

2012 से 2017 तक इंटरनेट सेवा बंद होने से राज्यों को हुआ नुकसान
राज्य कितनी बार नुकसान
जम्मू-कश्मीर 60 2972 करोड़ रुपए
राजस्थान 17 635.15 करोड़ रुपए
हरियाणा 12 2499 करोड़ रुपए
गुजरात 10 8310 करोड़ रुपए
बिहार 05 366.61 करोड़ रुपए
उत्तरप्रदेश 04 211.11 करोड़ रुपए
बंगाल 03 1280 करोड़ रुपए
नोट : अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश, मेघालय, पंजाब में एक बार और महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, तेलंगाना, त्रिपुरा में 2 बार इंटरनेट सेवाएं बंद की गईं

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स्वच्छ भारत मिशन के बजट से ज्यादा नुकसान : इंटरनेट शटडाउन से भारत को अब तक 21 हजार 336 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इनमें 12 हजार 615 घंटे मोबाइल इंटरनेट बंद रहने से 16 हजार 590 करोड़ का घाटा हुआ। 3 हजार 700 घंटे ब्रॉडबैंड नेटवर्क ब्लॉक होने से 4 हजार 746 करोड़ का नुकसान हुआ। इनमें टूरिज्म, आईटी, प्रेस, न्यूज मीडिया और ई-कॉमर्स सेक्टर को होने वाला नुकसान भी शामिल है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में भारत के स्वच्छ भारत मिशन का बजट 17 हजार 843 करोड़ रुपए है, जबकि आयुष्मान भारत योजना का बजट 3 हजार 200 करोड़ रुपए है।