नवगछिया : नवगछिया के बड़ी घाट ठाकुरबारी के महंथ व प्रकांड विद्वान श्री श्री 1008 सीताराम शरण जी महाराज और सुधीर बाबा मंगलवार को अलसुबह ब्रह्म मुहूर्त में ब्रम्हलीन हो गए. जानकारी मिली है कि सुबह नित्यक्रिया करने के क्रम में वह गिर गए और उनके सर में आंशिक चोटें भी आई थी. मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत चिकित्सक को बुलाया और जांचोपरांत इस बात का खुलासा हुआ कि परम श्रद्धेय सुधीर बाबा ब्रह्मलीन हो चुके हैं. सुधीर बाबा के ब्रह्मलीन होने की खबर नवगछिया व आसपास के इलाके में देखते ही देखते आग की तरह फैल गई.

ब्रह्मलीन हुए बड़ी घाट ठाकुरबारी के महंत सुधीर बाबा

★ अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब, कराया गया नगर भ्रमण

★ दोपहर बाद ब्रह्मलीन सुधीर बाबा को लेकर बनारस के लिए रवाना हुए बड़ी संख्या में श्रद्धालु

★ नवगछिया के श्रद्धालुओं में शोक की लहर, नवगछिया बाजार के व्यवसाइयों ने शोक में किया बाजार बंद

बड़ी संख्या में श्रद्धालु उनके अंतिम दर्शनों को बड़ी घाट ठाकुरबारी पहुंचे तो इधर नवगछिया बाजार के व्यवसाइयों ने शोक में अपनी अपनी दुकानों को बंद कर दिया. सुधीर बाबा के प्रथम शिष्य बच्चा प्रसाद भगत के पुत्र विश्व हिंदू परिषद के नवगछिया जिला अध्यक्ष प्रवीण कुमार भगत ने बाबा के पार्थिव शरीर को तुलसी दल व गंगाजल से स्पर्श कराया. इसके बाद सुधीर बाबा का शव यात्रा निकाला गया. शव यात्रा नवगछिया के हर गली मोहल्ले होकर निकला और कुछ देर के लिए नवगछिया स्टेशन परिसर में उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया

फिर राष्ट्रीय राजमार्ग होते हुए बाबा के पार्थिव शरीर को बनारस के लिए रवाना किया गया. विश्व हिंदू परिषद के नवगछिया जिला अध्यक्ष प्रवीण कुमार भगत ने बताया कि बाबा के पार्थिव शरीर का दाह संस्कार बनारस के गंगा घाट पर ही किया जाएगा. बाबा को मुखाग्नि उनके उत्तराधिकारी सिया बल्लभ शरण जी महाराज देंगे. नवगछिया से एक बड़ा जत्था बाबा के पार्थिव शरीर के साथ बनारस के लिए रवाना हुआ है जिसका नेतृत्व प्रसिद्ध संत परमहंस आगमानंद जी महाराज कर रहे हैं.

Whatsapp group Join

बनारस गंगा घाट पर सुधीर बाबा के पार्थिव शरीर का संभवतः बुधवार को दाह संस्कार किया जाएगा. मालूम हो कि सुधीर बाबा करीब 25 वर्षों से ठाकुरबारी के महंथ थे. नवगछिया में धर्म-अध्यात्म व शिक्षा के क्षेत्र में बाबा का बड़ा योगदान रहा है. बाबा नहीं महंत वैदेही शरण संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना नवगछिया में की थी. उन्होंने कई धर्म शास्त्रों से संबंधित पुस्तकों को लिखा. वे संपूर्णानंद काशी विश्वविद्यालय में प्राध्यापक भी थे. सुधीर बाबा के देहावसान से पूरा नवगछिया शहर शोक में डूब गया है.