नयी दिल्ली : बंगाल की खाड़ी में हवा के कम दबाव का क्षेत्र बनने के कारण उपजे चक्रवाती तूफान ‘तितली’ की तीव्रता कमजोर पड़ने से भारत के तटीय राज्यों ओड़िशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल को भले ही राहत मिली हो, लेकिन यमन तट से सक्रिय हुए दूसरे चक्रवाती तूफान ‘लूबन’ पर मौसम वैज्ञानिकों की लगातार नजर है.

भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिकों का मानना है कि हिंद महासागर में एक समान गति से एक साथ दो चक्रवाती तूफानों की सक्रियता मौसम संबंधी गतिविधियों के लिहाज से ‘दुर्लभ’ कही जा सकती है. विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि भारत में फिलहाल सिर्फ ‘तितली’ का असर रहा. राहत की बात यह भी है कि दूसरा तूफान लूबन अभी भारतीय तट से लगभग 500 किमी दूर यमन क्षेत्र में मौजूद है और यह भारत के बजाय उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ रहा है.

महापात्र ने बताया कि इसके बावजूद समुद्री क्षेत्र में लूबन की अगले चार दिनों तक सक्रियता को देखते हुए इस पर लगातार निगरानी रखी जा रही है. ‘तितली’ की सक्रियता के बारे में उन्होंने बताया कि गुरुवार को यह तूफान भारत के तटीय इलाकों से गुजर गया है. इस कारण तूफानी हवाओं की गति भी तेजी से कम हो रही है. अगले दो दिनों में यह सामान्य हो जायेगी. उन्होंने बताया कि पूर्वानुमान के आधार पर बेहतर आपदा प्रबंधन के ऐहतियाती उपाय कर चक्रवाती तूफान से जानमाल के नुकसान को न्यूनतम करने में कामयाबी मिली है. उन्होंने बताया कि इस बारे में सभी संबद्ध एजेंसियों को पिछले सात दिनों से लगातार चेतावनी जारी की जा रही थी.

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मौसम वैज्ञानिक सतीदेवी ने दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी के बाद बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने और इस कारण से चक्रवाती तूफान की सक्रियता को जलवायु परिवर्तन के लिहाज से असामान्य घटना मानने से इंकार किया. उन्होंने कहा कि भारतीय समुद्र क्षेत्र में साल में दो बार चक्रवाती तूफानों का दौर आता है. एक मानसून के पहले और दूसरा मानसून की वापसी के बाद.

उन्होंने कहा कि मानसून की वापसी के बाद अक्टूबर से दिसंबर तक समुद्र में कम दबाव का क्षेत्र बनने के कारण इस तरह के तूफान आना सामान्य घटना है. उन्होंने भी हालांकि माना कि हिंद महासागर क्षेत्र में एक साथ दो च्रकवाती तूफानों का सक्रिय होना ‘दुर्लभ’ जरूर है.