ऋषव मिश्रा कृष्णा, नवगछिया : अजीत ने ठीक ठीक उसी अंदाज में सरेंडर किया जिस अंदाज में अरविंद यादव ने समर्पण किया था. सवाल उठने लगे हैं कि कही शातिर अपराधियों के बीच इस तरह से सरेंडर सरेंडर खेलने का ट्रेंड न विकसित हो जाय. पुलिस आरोपियों के आस पास भी नहीं फटक पा रह है जबकि आरोपी खुद पुलिस के पास आ कर बड़े ही शान से पहले फोन से सबको सूचना देते हैं और फिर अपनी गिरफ्तारी देते हैं. लेकिन इन सब बातों से परे एक बार सामने आ रही है कि अजीत कतई नहीं चाहता था कि वह पुलिस के पास जा कर आत्मसमर्पण करे. लेकिन कदवा के गोला टोला के छोटुवा सिंह, मील टोला के पिंटू सिंह के गिरफ्तार होने के बाद और लत्तरा निवासी शातिर छोटुवा के पूरी तरह से भूमिगत हो जाने के बाद अजीत अलग थलग पड़ गया था. सूत्र बता रहे हैं कि अजीत पिछले दिनों बड़ी शान से कदवा में रह कर आपराधिक गतिविधि संचालित कर रहा था. लेकिन गिरोह के महत्वपूर्ण सदस्यों के गिरफ्तार हो जाने के बाद वह अलग थलग था. सूत्र बता रहे हैं कि पिछले दिनों तीन बार अजीत विरोधी गुट के निशाने पर था. लेकिन अजीत ने किस तरह से भाग कर अपनी जान बचायी. कहा जा रहा है कि मंगलवार को शाम में भी वही हुआ. विरोधी गुट के सदस्यों ने अजीत का गेम खल्लास करने की पूरी तैयारी कर चुका था. सूत्र तो यहां तक बता रहे हैं कि विरोधी गुट ने इतनी तैयारी कर ली थी कि अजीत को मारने के लिए जो भी करना पड़े किया जायेगा. अब अजीत को जान बचाना मुश्किल लग रहा था. अजीत ने पुलिस के पास जा कर सरेंडर करने की सोची लेकिन अजीत को पुलिस पर भी भरोसा न था. अजीत को यह लग रहा था कि कहीं पुलिस उन लोगों को विरोधी गुट के हवाले न कर दे. इसके बाद अजीत ने अपने आत्मसमर्पण को खुद नाटकीय बनाया. पहले ही समर्पण की बात को जगजाहिर कर दिया फिर पुलिस के पास जा कर समर्पण कर दिया. सूत्रों से यह बात भी सामने आ रह है कि विनोद यादव हत्याकांड में फरार चल रहे अन्य आरोपी भी विरोधी गुट के निशाने पर है. पूर्णिया में हुए राजेंद्र कॉलोनी के युवक की हत्या के बाद विनोद यादव हत्याकांड के आरोपियों के विरोधी गुट का मनोबल काफी उंचा है. आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर आये दिन विनोद यादव हत्याकांड के अन्य आरोपी भी पुलिस के पास आत्मसमर्पण करने आये.

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